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कोरोना संकटः राहुल गांधी बोले- देश के 13 करोड़ गरीब परिवार, प्रत्येक को दिए जाएं 5000 रुपये, परिवारों को ‘आय का सहयोग’ मिले

By भाषा | Updated: May 8, 2020 17:13 IST

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से कहा कि गरीब, किसान और प्रवासी कामगार को मदद की सख्त जरूरत है। प्रत्येक परिवार को आर्थिक मदद देने की आवश्यकता है। मोदी सरकार जल्द से जल्द कुछ उपाय करे।

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ठळक मुद्देबड़े आर्थिक सहायता पैकेज के बिना देश की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर से पटरी पर लाना संभव नहीं होगा।नागरिकों की परेशानियों को दूर करने के लिए बड़े आर्थिक पैकेजों की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन भारत में ऐसा अब तक नहीं हुआ।

नई दिल्लीः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से आग्रह किया कि कोरोना संकट के समय देश के 13 करोड़ गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता देने के साथ मनरेगा मजदूरों, प्रवासी श्रमिकों और किसानों को राहत प्रदान की जाए।

उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘ बड़े आर्थिक सहायता पैकेज के बिना देश की अर्थव्यवस्था का पहिया फिर से पटरी पर लाना संभव नहीं होगा। दुनिया के अधिकांश देश अर्थव्यवस्था को दोबारा शुरू करने एवं अपने नागरिकों की परेशानियों को दूर करने के लिए बड़े आर्थिक पैकेजों की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन भारत में ऐसा अब तक नहीं हुआ।’’

गांधी ने कहा कि सबसे गरीब 13 करोड़ परिवारों को ‘आय का सहयोग’ मिले। हर परिवार को 7500 रुपये दिए जाएं। यदि 13 करोड़ परिवारों में से प्रत्येक को कम से कम 5,000 रु. भी दिए जाएं, तो कुल 65,000 करोड़ रु. की आवश्यकता है, जो जरूरी भी है व सरकार आसानी से इसे वहन कर सकती है। उन्होंने यह आग्रह किया, ‘‘मनरेगा के तहत 100 दिनों के रोजगार को बढ़ाकर 200 दिन किया जाए, जिससे मजदूरों को आय के ज्यादा अवसर व राहत मिल सके। हमारी 28 से 30 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है।

मनरेगा जैसी योजना को शहरों में भी शुरू की जाए।’’ कांग्रेस नेता के मुताबिक जन वितरण प्रणाली के दायरे से बाहर रह गए 11 करोड़ लोगों को भी खाद्य सुरक्षा दी जाए। हमारे गोदाम अनाज से लबालब भरे हैं। अगले छः माह तक हर व्यक्ति को प्रतिमाह 10 किलोग्राम अनाज (चावल या गेहूं), 1 किलोग्राम दाल और 1 किलोग्राम चीनी दी जाए। उन्होंने यह आग्रह भी किया, ‘‘8.22 करोड़ पीएम किसान खातों में 10,000 रुपये डालकर किसान को तत्काल आय सहयोग दिया जाए।गेहूं समेत सभी रबी फसलों के एक एक दाने की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित हो।

खाद, कीटनाशक दवाइयों व ट्रैक्टर सहित खेती-बाड़ी के सब उपकरणों पर जीएसटी फौरन खत्म की जाए।’’ उन्होंने कहा कि 6.25 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयां 11 करोड़ से ज्यादा नौकरियों का सृजन करती हैं। एमएसएमई के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का ‘वेतन सुरक्षा कोष’ एवं 1 लाख करोड़ रुपये की ‘कर्ज गारंटी’ दी जाए।

एमएसएमई द्वारा लिए गए कर्ज पर छह माह के ब्याज के बराबर छह माह की ब्याज सब्सिडी दी जाए। गांधी ने कहा कि इसी तरह की ऋण गारंटी एवं ब्याज सब्सिडी की सुविधाएं बड़े उद्योगों को भी दी जाएं, बशर्ते वो अपनी सहायक इकाईयों को भी सहयोग करें। इससे नौकरियों में कटौती नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने प्रवासी मजदूर को परिवहन सेवा मुहैया कराने और दुकानदारों को भी राहत देने की मांग की।

कोरोना के खिलाफ पीएमओ से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती, राज्यों को साझेधार बनाएं प्रधानमंत्री : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों के बीच से कोरोना वायरस से जुड़ा डर का माहौल खत्म करने की जरूरत पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस संकट के खिलाफ सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से लड़ाई नहीं लड़ी जा सकती और ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्रियों पर विश्वास करना एवं राज्यों को साझेदार बनाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के कदमों में पारदर्शिता होनी चाहिए तथा सरकार छोटे कारोबारों की तत्काल मदद करे और गरीबों एवं मजदूरों के खातों में 7500 रुपये डाले।

गांधी ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संवाददाताओं से कहा, ‘‘ हमें छोटे कारोबारों, मजदूरों की मदद करनी होगी। लोगों की नौकरियां जा रही हैं। अगर हम अभी मदद नहीं करते हैं तो (बेरोजगारी की) सुनामी आ जाएगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें लॉकडाउन से बाहर निकलना है तो हमें डर खत्म करना होगा। यह बताना होगा कि कोरोना वायरस 99 प्रतिशत लोगों के लिए खतरनाक नहीं हैं। जिन एक फीसदी लोगों के लिए यह खतरनाक है उनकी हमें सुरक्षा करनी होगी।’’ गांधी ने कहा, ‘‘आज हमें यह भूलना होगा कि मैं मीडिया से हूं, कांग्रेस से हूं, आरएसएस से हूं या भाजपा से हूं। हम सबसे पहले हिन्दुस्तानी है। हमें हिन्दुस्तान के अंदर से डर निकालना होगा।’’

कांग्रेस नेता के मुताबिक सरकार को अब अपने कार्यों में थोड़ी पारदर्शिता बरतने की जरूरत है

कांग्रेस नेता के मुताबिक सरकार को अब अपने कार्यों में थोड़ी पारदर्शिता बरतने की जरूरत है। लॉकडाउन खोलने के लिए मापदंडों को समझने की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है कि सरकार भारत के लोगों से उन मापदंडों के बारे में बताएं, जिनका उपयोग वो करेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ आज स्थिति सामान्य नहीं है। इसमें सामान्य समाधान नहीं निकलने वाला है। अगर हम विकेंद्रीकरण करके इस लड़ाई को जिला स्तर तक ले जाएं, तो समाधान निकल सकता है। अगर हम इस लड़ाई को पीएमओ तक रखेंगे, तो हार हो सकती है।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को जिला अधिकारियों पर भरोसा करना ही होगा। अगर हम इसे केंद्रीकृत करते हैं, तो दिक्कत होगी।’’

उन्होंने आग्रह किया कि प्रधानमंत्री मोदी इस लड़ाई में राज्यों को साझेदार बनाएं। कांग्रेस नेता के मुताबिक एक मज़बूत प्रधानमंत्री के साथ हमें मज़बूत मुख्यमंत्री , मज़बूत डीएम और भी बहुत सारे मज़बूत लोग चाहिएं जो समस्या को ज़मीन पर ही ख़त्म कर सकें। गांधी ने कहा, ‘‘एक बहुत ही मजबूत भावना है कि बिना देरी के एमएसएमई क्षेत्र के लिए पैकेज, गरीबों को पैसा दिया जाए। हमारे प्रवासियों के लिए एक रणनीति बनाएं और लॉकडाउन खोलने के लिए ठीक से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।’’ कांग्रेस नेता कहा, ‘‘हम एक आपात स्थिति में हैं, हमें पूरी तरह से ‘न्याय’ योजना के विचार की आवश्यकता है। हमें तुरंत भारत के 50 फीसदी सबसे गरीब लोगों को 7500 रुपये देने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि किसी स्थान पर प्रवासी मजदूरों को रोकना बिल्कुल गलत और अमानवीय है। एक सवाल के जवाब में गांधी ने यह भी कहा कि ‘पीएम केयर्स’ कोष का ऑडिट होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से राज्यों में स्थिति को लेकर मनमोहन सिंह जी, सोनिया गांधी जी और मेरी बात हुई है। उन्होंने विकेंद्रीकरण पर जोर दिया है।’’ आरोग्य सेतु से जुड़े सवाल पर गांधी ने कहा, ‘‘ इस ऐप को हैकर्स ने क्रैक कर दिया है। मेरा इतना कहना है कि आप इसे ‘ओपेन सोर्स’ कीजिए। सिंगापुर के ऐप में ऐसा ही है। पारदर्शिता लाकर सरकार कोई भी ऐप चला सकती है।’’

 

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