लाइव न्यूज़ :

बिहार में कांग्रेस चाहती है बराबर की हिस्सेदारी, राजद से इतर एकला चलने की उठने लगी है मांग

By एस पी सिन्हा | Updated: September 27, 2020 16:01 IST

बिहार कांग्रेस के नेताओं ने एकला चलो फार्मूला अपनाने पर जोर देने लगे हैं. बिहार कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के पटना में चल रही है.

Open in App
ठळक मुद्देकांग्रेस के छपरा, मोतिहारी, सीतामढ़ी के जिला अध्यक्षों ने अकेले चुनाव लड़ने की मांग का समर्थन किया है.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के बावजूद अब तक के महागठबंधन और एनडीए में सीट बंटवारे पर मुहर नहीं लग पाई है. महागठबंधन में जारी कलह के बीच कुशवाहा ने अलग राह तय करने का ऐलान कर दिया है और कुशवाहा का यह कदम बिहारकांग्रेस के नेताओं को भी रास आ रहा है.

बिहार कांग्रेस के नेताओं ने एकला चलो फार्मूला अपनाने पर जोर देने लगे हैं. बिहार कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के पटना में चल रही है. बैठक में कई जिला अध्यक्षों और विधायकों ने जो राय जाहिर की है उसे देखकर यह लगता है कि कुशवाहा का कदम इन नेताओं को रास आ रहा है. 

सूत्रों के अनुसार पार्टी के कई जिला अध्यक्षों और विधायकों ने बैठक के दौरान अपनी राय जताते हुए कहा है कि अगर महागठबंधन में सीट बंटवारा सम्मानजनक तरीके से नहीं होता है तो कांग्रेस को विधानसभा चुनाव अकेले लड़ना चाहिए.

कांग्रेस के छपरा, मोतिहारी, सीतामढ़ी के जिला अध्यक्षों ने अकेले चुनाव लड़ने की मांग का समर्थन किया है. इन जिला अध्यक्षों का कहना है कि अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलती है तो पार्टी आलाकमान को यह फैसला करना चाहिए कि कांग्रेस बिहार में अकेले चुनाव लड़े.

विधायकों का कहना है कि अगर कांग्रेस अकेले भी चुनाव लडती है तो हम बेहतर परिणाम दे सकते हैं. उधर, पार्टी के कई विधायकों ने भी राजद से बराबर की हिस्सेदारी मांगी है.

कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा ने कहा है कि राजद के लिए 100 और कांग्रेस के लिए 42 सीटें पहले से तय है और बाकी बची सीटों पर अगर कोई बडा दल नहीं है तो बराबर की हिस्सेदारी होनी चाहिए. वहीं कांग्रेस विधायक पूनम पासवान ने भी कहा है कि हमें लोकसभा चुनाव जैसा समझौता नहीं करना चाहिए.

विधानसभा चुनाव में बराबर की हिस्सेदारी जरूरी है. इसतरह से कांग्रेस नेताओं का यह मिजाज बता रहा है कि कुशवाहा की राह उन्हें पसंद है और राजद ने जिस तरह सहयोगी दलों को कमतर आंकने का प्रयास किया है तो कांग्रेस उसका दबाव झेलने को बिल्कुल तैयार नहीं है.

हालांकि निर्णय आलाकमान को लेना है, जो शायद ही राजद से अलग होना पसंद करे. लेकिन दल के अंदर राजद के साथ का विरोध दिखने लगा है.

टॅग्स :बिहारकांग्रेसआरजेडी
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटवैभव सूर्यवंशी की टीम बिहार को हैदराबाद ने 7 विकेट से हराया, कप्तान सुयश प्रभुदेसाई ने खेली 28 गेंदों में 51 रन की पारी, जम्मू-कश्मीर को 7 विकेट से करारी शिकस्त

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत

भारतआखिर गरीब पर ही कार्रवाई क्यों?, सरकारी जमीन पर अमीर लोग का कब्जा, बुलडोजर एक्शन को लेकर जीतन राम मांझी नाखुश और सम्राट चौधरी से खफा

भारतलालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव पर ₹356000 बकाया?, निजी आवास का बिजली कनेक्शन पिछले 3 साल से बकाया राशि के बावजूद चालू

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

राजनीति अधिक खबरें

राजनीतिDUSU Election 2025: आर्यन मान को हरियाणा-दिल्ली की खाप पंचायतों ने दिया समर्थन

राजनीतिबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मिलीं पाखी हेगड़े, भाजपा में शामिल होने की अटकलें

राजनीतिBihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

राजनीतिगोवा विधानसभा बजट सत्रः 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर बवाल, विपक्ष का हंगामा