नई दिल्ली: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार (29 जून) को चीन के 59 ऐप को बैन कर दिया है। इसी बीच इसको लेकर कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने मोदी सरकार पर कई सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने लिखा है कि आखिर अलीबाबा को बैन क्यों नहीं किया गया...क्योंकि इसका पेटीएम (Paytm) कनेक्शन है। मनीष तिवारी ने इस ऐप की टाइमिंग और चिन्हित ऐप को बैन करने को लेकर भी सवाल उठाते हुए ट्वीट किए हैं। इस ट्वीट में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रदास को टैग करक उनसे जवाब भी मांगा है।
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने ट्वीट कर लिखा है, ''रविशंकर प्रसाद जी, क्या आपने चीनी ऐप बैन करने से पहले पूरा सोच-विचार किया है। ऐसे ही दो सवाल हैं, पहला- जो लोग VPN से बैन ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं, उनका क्या? ,दूसरा- दूसरा लाखों फोन में जो ऐप अभी भी हैं, उनका क्या? क्या वो किसी तरह का खतरा नहीं है?''
एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने लिखा, अलीबाबा बैन वाली लिस्ट में क्यों नहीं है...क्या इसलिए क्योंकि आपका पेटीएम से कनेक्शन है? या आप क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि दूसरी चीनी ऐप किसी तरह का खतरा नहीं है।
सोशल मीडिया पर लोग पेटीएम को भी बैन करने की मांग कर रहे हैं। लोग तर्क दे रहे हैं कि पेटीएम में भी चीनी हिस्सेदारी 30 से 40 प्रतिशत है।
भारत में 59 चीनी ऐप बैन: जानिए लिस्ट में कौन-कौन से शामिल
चीन से संबंध रखने वाले 59 मोबाइल ऐप जो भारत में बैन किए गए हैं उस लिस्ट में वीचैट , बीगो लाइव ,हैलो, लाइकी, कैम स्कैनर, वीगो वीडियो, एमआई वीडियो कॉल - शाओमी, एमआई कम्युनिटी, क्लैश ऑफ किंग्स के साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफार्म क्लब फैक्टरी और शीइन शामिल हैं। ऐसे में इस फैसले ने चीनी प्रौद्योगिकी कंपनियों की बड़ी सफाई कर दी है।
भारत में टिकटॉक के 20 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं, जबकि शाओमी सबसे बड़ा मोबाइल ब्रांड है। अलीबाबा का यूसी ब्राउजर एक मोबाइल इंटरनेट ब्राउजर है, जो 2009 से भारत में उपलब्ध है। इसका दावा है कि सितंबर 2019 में दुनिया भर (चीन को छोड़कर) में उसके 1.1 अरब उपयोगकर्ता थे, जिसमें आधे भारत से थे। वेंचर इंटेलिजेंस के अनुसार अलीबाबा, टेंसेंट, टीआर कैपिटल और हिलहाउस कैपिटल सहित चीनी निवेशकों ने 2015 से 2019 के बीच भारत के स्टार्टअप कंपनी क्षेत्र में 5.5 अरब डॉलर से अधिक निवेश किया है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आईटी कानून और नियमों की धारा 69ए के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए इन एप्स पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। बयान में कहा गया, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति शत्रुता रखने वाले तत्वों द्वारा इन आंकड़ों का संकलन, इसकी जांच-पड़ताल और प्रोफाइलिंग अंतत: भारत की संप्रभुता और अखंडता पर आधात होता है, यह बहुत अधिक चिंता का विषय है, जिसके खिलाफ आपातकालीन उपायों की जरूरत है।