लोकसभा में कांग्रेस के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकपाल नियुक्त करने के लिए बुलाई गई चयन समिति की बैठक में हिस्सा लेने के सवाल पर कड़ी आपत्तियां उठाते हुए इंकार कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में मल्लिकार्जुन खड़गे ने सवाल उठाया है कि चूंकि उन्हें विशेष आमंत्रित के रुप में इस बैठक में बुलाया जा रहा है इसलिए वे इसमें हिस्सा नहीं लेगें।
गौरतलब है कि लोकपाल नियुक्त करने के लिए सरकार द्वारा आज बैठक बुलाई गई है। सरकार ने यह बैठक तब बुलाई जब सर्वोच्च न्यायालय ने लोकपाल की नियुक्ति को लेकर हो रही देरी पर कड़ी आपत्ति की और सरकार को हिदायत दी कि वह निर्धारित समय सीमा में लोकपाल की नियुक्ति करें। सर्वोच्च न्यायालय के तेवरों को देखते हुए यह बैठक बुलाई गई थी।
खड़गे ने छह बिंदुओं पर अपनी आपत्ति दर्ज की और लिखा कि 2014 से आज तक सरकार ने ऐसी कोई कोशिश नहीं की जिससे कानून में संशोधन कर नेता विपक्ष की जगह सबसे बड़े दल के नेता को बुलाने की व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।
खड़गे ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया कि लोकपाल की नियुक्ति सरकार स्वत: कर सकती है चाहे विपक्ष का नेता हो या ना हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस आशय का प्रावधान धारा 4 (2) लोकपाल कानून में किया गया है।
पिछले पांच वर्षो से लगातार कहने के बावजूद सरकार ने नेता विपक्ष की जगह सबसे बड़े दल के नेता का प्रावधान नहीं किया है उससे साफ है कि सरकार की कोई रूचि लोकपाल को नियुक्त करने में नहीं है चूंकि सर्वोच्च न्यायालय दबाव बना रहा है इसलिए यह कागज़ की भरपाई की जा रही है। सरकार लोकपाल की नियुक्ति एक तरफ करती है तो वह स्वीकार नहीं होगी। जब मेरी बात का बैठक में कोई वजूद ही नहीं है तो मेरे होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। अत: मैं बैठक में मौजूद नहीं रहूंगा।