महाराष्ट्र: विधान परिषद सदस्य पर गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी की चुप्पी, उद्धव ठाकरे को देना पड़ सकता है मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा!
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 18, 2020 08:15 AM2020-04-18T08:15:33+5:302020-04-18T08:25:38+5:30
उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उस समय वे विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. उनको छह माह के भीतर किसी भी सदन का सदस्य बनना होगा.
मुंबई: राज्य मंत्रिमंडल ने गत 6 अप्रैल को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में राज्यपाल मनोनीत सदस्य के रूप में नियुक्त करने की शिफारिस राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से की थी. इस पर अब तक निर्णय नहीं हुआ है. सूत्रों के अनुसार अब राज्यपाल इसके लिए कानूनी सलाह लेने की तैयारी में हैैं.
यदि राज्यपाल ने मंत्रिमंडल का प्रस्ताव खारिज कर दिया तो ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है. इसका असर सरकार पर भी पड़ेगा. ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उस समय वे विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे. उनको छह माह के भीतर किसी भी सदन का सदस्य बनना होगा. यह अवधि 27 मई को खत्म हो रही है. इसलिए अब ठाकरे को किसी भी सदन का सदस्य बनना आवश्यक हो गया है. हाल ही जब विधान परिषद के चुनाव हुए थे तब ठाकरे ने चुनाव नहीं लड़ा था. इसके अलावा राज्यपाल मनोनीत दो सदस्य विधानसभा में चुनकर गए.
उसके बाद उन्होंने इस्तीफा दिया. उन रिक्त दो सीटों में से एक पर मंत्रिमंडल ने बैठक लेकर ठाकरे के नाम की शिफारिस की. यहां यह उल्लेखनीय है कि इन्हीं दो सीटों के लिए इसी सरकार ने दो अन्य नामों की शिफारिस की थी. उन पर राज्यपाल ने निर्णय नहीं लिया था और नाम वापस भेज दिए थे. सूत्रों के अनुसार अगर यह मनोनयन किया गया तो वह मूल सदस्यों के शेष बचे कार्यकाल तक के लिए ही होगा.
यह कार्यकल खत्म होने में कुछ ही महीने बचे हैैं. ऐसे राज्यपाल यह विचार कर रहे हैैं कि कुछ महीनों के लिए दो सदस्य नियुक्त करने के बजाय कार्यकाल समाप्त होने के बाद सभी 12 सदस्यों की नए सिरे से नियुक्ति करना ज्याद उचित होगा. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या राज्यपाल इस मुद्दे पर इनकार कर सकते हैैं? इसीलिए वे एडवोकेट जनरल से सलाह लेने पर विचार कर रहे हैैं. चूंकि मंत्रिमंडल ने शिफारिस की है इसलिए इनकार किया जा सकता है या नहीं. इसी पर वे कानूनी सलाह लेने जा रहे हैं.