'M-2' अभियान पर 2 महीने से काम कर रही थी भाजपा, मध्य प्रदेश के बाद अगला निशाना महाराष्ट्र, पढ़ें इनसाइड स्टोरी
By संतोष ठाकुर | Updated: March 10, 2020 12:40 IST2020-03-10T12:40:38+5:302020-03-10T12:40:38+5:30
महाराष्ट्र में भी बेमेल गठबंधन वाली सरकार बहुत दिन तक नहीं चलने वाली है. इसकी वजह यह है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे को लगातार सफाई देनी पड़ रही है, तो वही मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर वह काफी असहज हैं.

Jyotiraditya Madhavrao Scindia (FILE PHOTO)
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के अंदर बगावत अचानक नहीं हुई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के तेवर और लक्ष्य का आकलन कर भाजपा ने लगभग 2 महीने पहले ही 'एम-2' प्लान तैयार करना शुरू कर दिया था. इसमें से एक 'एम' महाराष्ट्र है, तो दूसरा 'एम' मध्य प्रदेश है. महाराष्ट्र में जहां भाजपा उद्धव ठाकरे कि एनडीए में वापसी के लिए संघ और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के सहारे तार जोड़ने का प्रयास कर रही है, तो वही सिंधिया के सहारे मध्य प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के अभियान में वह 2 महीने पहले से ही जुट गई थी. इसी के तहत मध्य प्रदेश से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के माध्यम से सिंधिया से बात की गई.
ज्योतिरादित्य सिंधिया और अमित शाह क्रिकेट की राजनीति से जुड़े रहे हैं
करीब 2 माह पहले ही उनसे भाजपा ने जब बात की तो सिंधिया ने कहा कि अगर उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद और राज्यसभा नहीं दी जाती है, तो उसके बाद ही वह भाजपा में आने को लेकर कोई निर्णय करेंगे. जब भाजपा ने यह देखा कि सिंधिया को मनचाही मुराद नहीं मिल रही है, तो उसने अपने 'एम-2' अभियान को अचानक तेज कर दिया. सिंधिया और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह क्रिकेट की राजनीति से जुड़े रहे हैं. इस वजह से दोनों के बीच संबंध भी रहे हैं.
बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्या-क्या किया है वादा
मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार में बगावत शुरू हुई, तो दोनों के बीच इसको लेकर बातचीत भी हुई. जानकारों का मानना है कि दोनों की बातचीत में मध्य प्रदेश के सियासी गणित पर चर्चा हुई. शाह ने सिंधिया को कहा कि उनके अलावा समस्त सिंधिया परिवार भाजपा में है .ऐसे में यह उनका अपने परिवार में आने जैसा होगा. उनकी बुआ और मामी भाजपा में ही हैं. उनकी दादी भी भाजपा की कद्दावर नेता रही हैं. ऐसे में यह उनका परिवार ही है. कैबिनेट मंत्री पद, राज्यसभा का वादा सूत्रों के मुताबिक भाजपा और सिंधिया के बीच हुई बातचीत में उन्हें प्रस्ताव दिया गया कि अगर वह 15 विधायक लेकर आते हैं तो उन्हें राज्यसभा के साथ ही कैबिनेट मंत्री पद दिया जाएगा. इसके साथ ही उनके साथ आए विधायकों में से कुछ को राज्य में बनने वाली भाजपा की नई सरकार में भी शामिल किया जाएगा.
मध्य प्रदेश में बदलाव का असली नतीजा 13 मार्च को तय होगा
इतना ही नहीं भाजपा उनके आने के बाद राज्यसभा की एक सीट, जो वह जीत रही है के साथ ही एक अन्य सीट जीतने के लिए भी दम लगाएगी. इससे कांग्रेस जो फिलहाल दो सीटों पर जीत रही है, उसे केवल एक सीट पर ही सीमित होना पड़ेगा. भाजपा ने अपने भीतर टूट से बचने के लिए सभी विधायकों को मंगलवार को भोपाल बुलाया है. इसमें मध्य प्रदेश के सभी भाजपा सांसद भी उपस्थित रहेंगे. वहां पर राज्य में भाजपा सरकार बनाने और विधायकों को सुरक्षित स्थान पर रखने को लेकर चर्चा होगी. 13 को 'कत्ल की रात' राज्य विधानसभा का 16 मार्च को विशेष सत्र है. उसी दिन शक्ति परीक्षण की रणनीति भी है. हालांकि, राज्य में बदलाव का असली नतीजा 13 मार्च को तय होगा.
उस दिन राज्यसभा के उम्मीदवारों की सूची जारी की जाएगी. अगर दिग्विजय सिंह और कमलनाथ गुट , सिंधिया को टिकट लेने से रोकने में कामयाब रहे, तो मध्य प्रदेश में नई सरकार को लेकर नया राजनीतिक ड्रामा देखना निश्चित है. इस खींचतान के बीच जहां सिंधिया के औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मिलने की अटकलें तेज हो गई हैं, तो दूसरी ओर दूसरी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच भी सिंधिया को लेकर चर्चा होने की सूचना सामने आ रही है.
सिंधिया को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के नजदीक माना जाता है. बॉक्स महाराष्ट्र में जल्द ही तख्तापलट भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 'एम-2' प्लान अमित शाह लगातार देख रहे हैं. महाराष्ट्र में भी बेमेल गठबंधन वाली सरकार बहुत दिन तक नहीं चलने वाली है. इसकी वजह यह है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव ठाकरे को लगातार सफाई देनी पड़ रही है, तो वही मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर वह काफी असहज हैं. हाल ही में जब वह अयोध्या यात्र की योजना बना रहे थे तो कांग्रेस और राकांपा उससे नाखुशी जता रहे थे.