उपेन्द्र कुशवाहा बोले-14 मार्च को रालोसपा का जदयू में विलय, करीब दो साल NDA में होंगे शामिल, नीतीश सरकार में बनेंगे मंत्री!

By एस पी सिन्हा | Published: March 8, 2021 02:42 PM2021-03-08T14:42:32+5:302021-03-08T20:06:39+5:30

पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा अब खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है, एक के बाद कई बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं।

bihar patna Upendra Kushwaha RLSP merged JDU on March 14 join NDA again after almost two years cm nitish kumar | उपेन्द्र कुशवाहा बोले-14 मार्च को रालोसपा का जदयू में विलय, करीब दो साल NDA में होंगे शामिल, नीतीश सरकार में बनेंगे मंत्री!

कोरोना वैक्सीन भी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ ली है। (file photo)

Highlightsशनिवार को भी पार्टी के 41 नेताओं ने रालोसपा से इस्तीफा दे दिया।रालोसपा नेता विनय कुशवाहा की मानें तो अभी पार्टी छोड़ने वालों का सिलसिला शुरू ही हुआ है।विनय ने पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर गंभीर आरोप लगाए।

पटनाः उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा का अब जल्द ही जदयू में विलय होना लगभग तय माना जा रहा है। इससे पहले ही उपेंद्र कुशवाहा अभी से ही जदयू के नेताओं के साथ हर जगह दिखाई दे रहे हैं।

उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू में विलय से पहले कोरोना वैक्सीन भी पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह के साथ ली है। उपेंद्र कुशवाहा और वशिष्ठ नारायण सिंह आज पटना के आईजीआईएमएस हॉस्पिटल पहुंचे और कोरोना की वैक्सीन ली।

10 दिनों के अंदर रालोसपा का जदयू में विलय हो जाएगा

इस दौरान अपनी पार्टी का जदयू में विलय करने पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम जदयू से अलग ही कब थे? उन्होंने कहा कि जल्द ही पार्टी का जदयू में विलय होगा। सूत्रों के अनुसार अगर सबकुछ ठीक रहा तो यह विलय 10 दिनों के अंदर रालोसपा का जदयू में विलय हो जाएगा। बहुत संभव है कि 14 मार्च को विलय की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी।

इसके साथ ही उपेंद्र कुशवाहा करीब दो साल बाद फिर राजग में शामिल हो जाएंगे और वह  एक बार फिर से अपने मुख्य पार्टी में वापसी कर लेंगे। इसके साथ ही रालोसपा का अस्तित्व सदा के लिए समाप्त हो जायेगा। पिछले कुछ समय से इसकी प्रबल संभावना देखी जा रही है. वहीं इस तरफ राजनीतिक गलियारों में हलचलें भी तेज हो गई है।

वशिष्ठ नारायण सिंह इस मामले पर खुलकर सामने भी आ चुके हैं

जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह इस मामले पर खुलकर सामने भी आ चुके हैं। जानकारों के अनुसार विधानसभा चुनाव में कमजोर होने के बाद जदयू अपना आधार मजबूत करने की कवायद में जुटा है. इसके तहत उसकी नजर कुशवाहा समाज पर है। इसे देखते हुए जदयू में प्रदेश अध्‍यक्ष का पद इस समुदाय से आने वाले उमेश कुशवाहा को दिया गया है।

बिहार में कुशवाहा समाज के बडे नेता उपेंद्र कुशवाहा के जदयू में आने के बाद पार्टी में यह समीकरण और मजबूत हो जाएगा. उधर, गत लोक सभा चुनाव के वक्‍त एनडीए छोड़ महागठबंधन के साथ गए उपेंद्र कुशवाहा कालक्रम में महागठबंधन से भी अलग हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव में भी उन्‍हें निराशा हाथ लगी. इसके बाद उन्‍हें भी राजनीतिक जमीन की तलाश है।

रालोसपा का जदयू में विलय संभव

बता दें कि जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी के वरिष्ठ सदस्य वशिष्ठ नारायण सिंह से शनिवार को उपेन्द्र कुशवाहा की मुलाकात भी हुई थी। वशिष्ठ नारायण सिंह ने मीडिया से बात करते हुए स्पस्ट रुप से इस बात को कहा भी था कि रालोसपा का जदयू में विलय संभव है।

उन्होंने उपेन्द्र कुशवाहा को एक धारा का ही साथी बताया और कहा कि उन्होंने बताया कि कुशवाहा भी इसी विचारधारा के साथी हैं और इस विषय पर लगातार उनसे बात-चीत चल रही है। सूत्र बताते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बशिष्ठ नारायण सिंह से कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

पारी की शुरुआत नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही की थी

उल्लेखनीय है कि उपेंद्र कुशवाहा का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से रुठने और फिर उनसे जुड़ने का यह पहला मौका नहीं है। उपेंद्र ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही की थी। नीतीश कुमार ने उन्हें आगे भी बढ़ाया। हालांकि, कई बार मतभेदों के कारण उपेंद्र ने पार्टी छोड़ी और फिर वापस भी आए, इससे पहले वे दो बार अलग हुए।

कुशवाहा कहते भी हैं कि वे नीतीश कुमार से कभी अलग नहीं हुए थे. हालांकि उपेंद्र कुशवाहा जब-जब जदयू से अलग हुए उन्हें एक बार छोड़कर कोई बड़ा मंच नहीं मिला। वर्ष 2014 में एनडीए के तहत लोकसभा चुनाव लड़े और तीन सीटें जीतीं। उपेंद्र कुशवाहा केन्द्र में मानव संसाधन राज्य मंत्री भी बने। लेकिन, 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा।

बाद में वे महागठबंधन का भी हिस्सा बने, लेकिन 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के पहले ही वहां से अपने को अलग कर लिया। फिर महागठबंधन के साथ जाकर लोकसभा चुनाव में उतरे पर उन्हें सफलता नहीं मिली। फिर पिछले साल विधानसभा चुनाव में उन्होंने विधानसभा चुनाव में जोर आजमाया, इस दौरान एआईएमआईएम ने तो बाजी मार ली, लेकिन कुशवाहा हासिये पर चले गए।

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