पटनाः बिहार में दो सीटों के लिए होने वाले विधान परिषद चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अपने एक उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है.
पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता सैय्यद शहनवाज हुसैन को विधानपरिषद का उम्मीदवार बनाया है. भाजपा नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और विनोद नारायण झा के इस्तीफा देने के बाद से बिहार विधान परिषद की दो सीटें खाली हुई हैं. सुशील मोदी अब राज्यसभा जा चुके हैं.
वहीं पिछले साल हुए चुनाव में जीत हासिल कर विनोद नारायण झा विधायक बनकर विधानसभा पहुंच चुके हैं. बता दें कि 6 जनवरी को निर्वाचन आयोग ने बिहार विधान परिषद उपचुनाव की घोषणा कर दी थी. 11 जनवरी को अधिसूचना जारी कर दी गई. वहीं नामांकन दाखिल करने के लिए 18 जनवरी तक का समय है. नामांकन करने की अंतिम तारीख से दो दिन पहले ही भाजपा ने एक उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है. 28 जनवरी को सुबह 9 बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा और उसी दिन नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे.
वाजपेयी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद मिला था
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन दो दफे सांसद रहने के साथ ही केंद्र में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. वाजपेयी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का पद मिला था. लेकिन नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद वे अलग-थलग पडे़ थे. पार्टी ने उन्हें हालिया दिनों में काम पर लगाया था.
इसके साथ ही हुसैन की चुनावी राजनीति में वापसी हो गई है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद यह पहला मौका है जब वह चुनाव मैदान में उतरेंगे. वर्ष 2014 में वह भागलपुर से लोकसभा का चुनाव हार गए थे जबकि 2019 में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया था.
जम्मू-कश्मीर में हुए डीडीसी चुनाव में शाहनवाज हुसैन को चुनाव अभियान का सह प्रभारी बनाया गया था. इस चुनाव में भाजपा ने संतोषजनक प्रदर्शन किया था. इसके बाद ये अंदाजा लगाया जा रहा था कि उन्हें पार्टी की ओर से इनाम दिया जा सकता है.
पार्टी ने उनका डिमोशन कर दिल्ली से पटना भेज दिया
लेकिन सियासी हलके में ये सवाल उठ रहा है कि शाहनवाज हुसैन को कैसा इनाम दिया गया है. पार्टी ने उनका डिमोशन कर दिल्ली से पटना भेज दिया. दो-दो बार सांसद और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रह चुके अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता को पार्टी ने बिहार में विधानपार्षद बना दिया.
दिलचस्प बात यह भी है कि विधान परिषद के ऐसे में उपचुनाव में उन्हें प्रत्याशी बनाया गया है, जिसका कार्यकाल बेहद कम है. इनमें से एक का कार्यकाल डेढ साल तो दूसरे का साढे तीन साल है. हालांकि पार्टी ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि शाहनवाज को डेढ़ साल वाली सीट मिल रही है या साढे़ तीन साल वाली पर.
मुकेश सहनी के लिए दूसरी सीट छोड़ी जा सकती है
बिहार में विधान परिषद की जिन दो सीटों के लिए उप चुनाव हो रहे हैं, वे दोनों भाजपा की सीट हैं. लेकिन भाजपा ने सिर्फ एक सीट पर उम्मीदवार घोषित किया है. ऐसे में चर्चा ये है कि मुकेश सहनी के लिए दूसरी सीट छोड़ी जा सकती है.
मुकेश सहनी को चुनाव के पहले विधान परिषद की सीट देने का वादा किया गया था. मुकेश सहनी इस उम्मीद में थे कि राज्यपाल कोटे से उन्हें 6 साल के लिए विधान पार्षद बनाया जायेगा, लेकिन जानकार बता रहे हैं कि उन्हें विधान परिषद उप चुनाव वाली सीट दी गई है.