पटनाः आरक्षण को लेकर बिहार में एकबार फिर से राजनीति गर्मा गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र और बिहार में आरक्षण के जो प्रावधान है, उसमें छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
नीतीश कुमार ने कहा कि किसी को भी आरक्षण से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. इस दौरान उन्होंने पत्रकारों के सारे सवालों का विस्तार से जवाब दिया। नीतीश कुमार ने साफ किया विकास के मुद्दे पर किसी से मुलाकात करना गलत नहीं है। नीतीश कुमार ने जाति के आधार पर जनगणना की मांग एक बार फिर कर दी। उनके धुर विरोधी लालू यादव भी ये मांग करते आए हैं।
कन्हैया कुमार से मुलाकात
नीतीश कुमार ने कहा कि कन्हैया कुमार से मुलाकात के राजनीतिक मतलब नहीं निकाले जाने चाहिए, इलाके के विकास के लिए कोई भी उनसे मिल सकता है। मुख्यमंत्री ने बिहार की तर्ज पर केंद्र सरकार में भी पिछड़ों और अति पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग की।
एक बार जातिगत जनगणना होना जरूरी
उन्होंने कहा कि देश में एक बार जातिगत जनगणना होना जरूरी है, ताकि यह पता चल सके कि देश में किन-किन जाति के लोगों की संख्या कितनी है? उन्होंने कहा कि इसके आधार पर सरकार को अपनी नीतियां बनाने में सहायता मिलेगी। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी।
केंद्र में भी बिहार का आरक्षण फॉर्मूला लागू हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र में भी बिहार का आरक्षण फॉर्मूला लागू हो। देश में सिर्फ पिछड़ा वर्ग का आरक्षण लागू है, जबकि बिहार में पिछड़ा और अतिपिछड़ा दोनों वर्ग को आरक्षण दिया गया है। देश में सबसे पहले यह व्यवस्था बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर ने लागू की थी।
आरक्षण की व्यवस्था कोई खत्म नहीं कर सकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण की व्यवस्था कोई खत्म नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि पिछड़ा कोटे में अति पिछड़ा को भी अलग से आरक्षण मिले। फिलहाल अभी केंद्र में सिर्फ पिछड़ा वर्ग को ही आरक्षण मिल रहा है। उन्होंने कहा मैंने पहले भी जातिगत जनगणना की वकालत की थी।
उन्होंने कहा कि आजादी से पहले जातिगत आधार पर जनगणना की जाती थी, लेकिन उसके बाद इसे बंद कर दिया गया। इसके आधार पर हमें अपनी नीतियों को बनाने में मदद मिलेगी हमारी पूरी कोशिश होगी कि इस बार जनगणना जाति आधारित हो। मुख्यमंत्री आज जदयू कार्यालय परिसर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
दोनों मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक मत
इसके पहले उन्होंने बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देते हुए भी जातिगत आधार पर जनगणना के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही थी। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में पुराने रोस्टर को बहाल करने के मुद्दे का भी उन्होंने समर्थन किया था।
उन्होंने कहा था कि इन दोनों मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक मत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सब ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर समय निकालकर एक साथ सदन में चर्चा करनी चाहिए। सदन का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास जाना चाहिए, जो पहले का प्रावधान है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद अगर विभागवार नियुक्ति का सिलसिला शुरू हुआ तो इसका बहुत बड़ा नुकसान अनुसूचित जाति जनजाति और पिछडे़ वर्ग के प्रत्याशियों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां पुराने रोस्टर और पुरानी प्रक्रिया के तहत ही की जा रही हैं।
आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया
उन्होंने कहा कि जब तक जाति आधारित जनगणना नहीं होती तब तक पिछडे़ या अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के वर्तमान आरक्षण की सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता है। एक बार जातिगत जनगणना हो जाए तो पूरे देश में एक नियम, एक कानून बनाया जाना चाहिए कि आरक्षण आबादी के अनुसार मिलेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि अनारक्षित वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए, यह किसी के आरक्षण में कोई हस्तक्षेप नहीं है, अलग से आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।