महाराष्ट्र में कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती है। भाजपा के राज्य में सरकार बनाने से इंकार के बाद कांग्रेस ने यह प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टी के नव-निर्वाचित विधायक राज्य में राजनीतिक रुख को लेकर आला-कमान से सलाह लेंगे।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम जयपुर में हैं। हम मुद्दे पर यहां चर्चा करेंगे और भविष्य के राजनीतिक रुख पर सलाह लेंगे। पार्टी राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती है।’’ चव्हाण ने कहा कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पक्ष में हैं।
मुम्बई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने यहां कहा कि ‘ऐसा जान पड़ता है कि भाजपा-शिवसेना गठबंधन टूट गया है’ और वह पार्टी नेतृत्व से शिवसेना की मदद से सरकार बनाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करने की अपील करेंगे क्योंकि यह एक स्थिर सरकार नहीं होगी तथा कांग्रेस एवं राकांपा दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ेगा।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणिकराव ठाकरे ने कहा था कि खड़गे ने यह जानने के लिए पार्टी विधायकों के साथ अनौपचारिक बैठक की कि महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर पार्टी को क्या रुख अपनाना चाहिए। ठाकरे ने कहा, ‘‘खड़गे फिर विधायकों की भावना से पार्टी नेतृत्व को अगवत करायेंगे।’’
अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, बालासाहब थोराट जैसे वरिष्ठ नेताओं समेत महाराष्ट्र के सभी 44 नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायक पार्टी शासित राजस्थान में एक रिसोर्ट में डेरा डाले हुए हैं क्योंकि पार्टी को सरकार गठन को लेकर जारी गतिरोध के बीच विधायकों के खरीद-फरोख्त का डर है। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस ने इस बात के लिए विधायकों के साथ चर्चा के लिए दो पर्यवेक्षक तैनात किये हैं कि पार्टी को सरकार गठन पर गतिरोध के मद्देनजर क्या रुख अपनाना चाहिए।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को विधानसभा में सबसे बड़े दल भाजपा को राज्य में सरकार गठन के प्रति उसकी इच्छा और क्षमता के बारे में अवगत कराने को कहा था। अक्टूबर में विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56, राकांपा ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थी। विधानसभा में 288 सीटें हैं।