जीरो बैलेंस अकाउंट पर इस तरह से वसूली कर रहे हैं बैंक, एसबीआई ने 300 करोड़ जुटाए, जानें मामला By सतीश कुमार सिंह | Published: April 12, 2021 04:15 PM 2021-04-12T16:15:52+5:30 2021-04-12T16:21:22+5:30
Next Next भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित विभिन्न बैंक गरीब लोगों से शून्य शेष खातों या मूल बचत बैंक जमा खातों (बीएसबीडीए) पर कुछ सेवाओं के लिए अत्यधिक शुल्क की वसूली कर रहे हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-बंबई (आईआईटी-बंबई) के एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015-20 के दौरान एसबीआई ने 12 करोड़ बीएसबीडी खाताधारकों पर सेवा शुल्क लगाकर 300 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि एसबीआई ने बीएसबीडी खाताधारकों पर चार के बाद प्रत्येक निकासी लेनदेन पर 17.70 रुपये का शुल्क लगाने का फैसला किया है, जिसे उचित नहीं माना जा सकता।
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के बीएसबीडी खातों की संख्या 3.9 करोड़ है।
बैंक ने इस अवधि में इन खाताधारकों से 9.9 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
एसबीआई का नाम सबसे पहले आता है।
डिजिटल निकासी में भी एसबीआई यह वसूली कर रहा है।
आईआईटी-बंबई के प्रोफेसर आशीष दास ने कहा, ‘‘इस सेवा शुल्क के जरिये एसबीआई ने करीब 12 करोड़ बीएसबीडी खाताधारकों से 300 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
इसके बाद 2019-20 में 158 करोड़ रुपये जुटाए गए।
बीएसबीडीए पर शुल्क रिजर्व बैंक के सितंबर, 2013 के दिशानिर्देश के आधार पर लगाया जा रहा है।
बैंक के विवेक के आधार पर होगा, बशर्ते बैंक उसके लिए शुल्क की वसूली नहीं करे।
बीएसबीडीए के पहलुओं को परिभाषित करते हुए कहा गया है कि नियामकीय आवश्यकताओं के अनुरूप यह स्पष्ट किया गया है।
इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैक एक महीने में चार से अधिक निकासी को मूल्यवर्धित सेवा मानता है।
इसमें कहा गया है कि इन खाताधारकों को एक महीने में चार से अधिक बार निकासी का अधिकार होगा।
इसमें से 2018-19 में ही अकेले 72 करोड़ रुपये जुटाए गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसबीडीए पर कुछ बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक के नियमनों का प्रणालीगत उल्लंघन किया जा रहा है।
एसबीआई द्वारा एक महीने चार निकासी लेनदेन के बाद प्रत्येक लेनदेन पर 17.70 रुपये वसूले जा रहे हैं।
सभी खाताधारकों को उनके द्वारा लगाए गए शुल्क की प्रतिपूर्ति की जानी चाहिए। सरकार ने कहा था कि अगर आरोप वापस नहीं किए गए तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक के मामले में, इसने पांच वर्षों में 3.9 करोड़ खातों में 9.9 करोड़ रुपये का निवेश किया है।