इंडियन आर्मी को दोबारा मिलेगी उनकी चहेती मारुति जिप्सी, जानें क्यों है उनकी पहली पसंद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 4, 2019 02:43 PM2019-06-04T14:43:40+5:302019-06-04T14:43:40+5:30

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भारतीय सेना ने हजारों जिप्सी खरीदने का फैसला किया है। यह फैसला तब किया गया है जब मारुति सुजुकी ने जिप्सी बनाना बंद कर दिया है। मारुति सुजुकी ने अक्टूबर 2018 में घोषणा कर दिया था कि वह अप्रैल 2019 में इसका उत्पादन बंद कर देगी।

मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने अपनी जरूरतों की वजह से जिप्सी को सेफ्टी और इमिशन नॉम्स में छूट दी है। छूट के बाद मारुति सुजुकी अब सेना के लिए 3,051 जिप्सी बनाएगी।

वाहन से जुड़े कई नए नियमों के अनुसार ढ़ाल न पाने की वजह से मारुति सुजुकी ने जिप्सी बनाना बंद कर दिया है। सेना जिप्सी के रिप्लेसमेंट के लिए टाटा की सफारी स्टॉर्म को पहले ही सेलेक्ट कर चुकी है।

सफारी को सेना में शामिल करने के लिए 5 साल पहले ही टेस्टिंग किया जा चुका है। टाटा की सफारी स्टॉर्म और महिंद्रा की स्कॉर्पियो सेना की जरूरतों के हिसाब से परफेक्ट पाई गई थी। अंत में सेना ने सफारी स्टॉर्म को सबसे कम बोली लगाने की वजह से चुना।

सेना ने 3,192 सफारी स्टॉर्म के लिए ऑर्डर किया था जिसमें से 90 परसेंट डिलिवर की जा चुकी हैं फिर भी जिप्सी के ऑर्डर के पीछे सेना की अपनी मजबूरियां हैं। सेना के एक अधिकारी का कहना है कि सफारी स्टॉर्म थोड़ा बड़ी गाड़ी है और पहाड़ी इलाकों की सड़क संकरी होती हैं। सेना की इन जरूरतों को पूरा करने के लिए जिप्सी सही है।

दूसरा कारण है कि सेना द्वारा खरीदी गई सभी सफारी स्टॉर्म हार्डटॉप मॉडल हैं। जिप्सी में हार्ड टॉप और सॉफ्ट टॉप दोनों ऑप्शन हैं। इस वजह से जिप्सी में सेना अपने राइफल रख सकती है।

जिप्सी में हथियारों से लैस सैनिक खड़े सकते हैं जिससे उन्हें तेजी से प्रतिक्रिया देने में आसानी होती है। जबकि टाटा मोटर्स ने सफारी स्टॉर्म में किसी भी तरह के बदलाव (मॉडीफाई) से मना कर दिया था। सेना जिप्सी, सफारी सहित लगभग 30,000 हजार वाहन इस्तेमाल करती है। इनमें से काफी गाड़ियां रिटायर हो चुकी हैं। वर्तमान में सेना को 8,000 गाड़ियों की जरूरत है। जिप्सी सेना को 1991 से अपनी सेवा दे रही है। सेना जिप्सी का इस्तेमाल कश्मीर और नॉर्थईस्ट के पहाड़ी इलाकों में करती है।