बीमा नियामक इंश्योरंस ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) बीमाधारकों के लिए खुशखबरी लाई है। बीमा कंपनियां अब वर्क प्लेस पर होने वाले एक्सीडेंट और आर्टिफिशल लाइफ मेनटेनेंस से होने वाली बीमारियों को हेल्थ कवर के बार नहीं कर पाएंगी। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इरदा ने कहा कि कैटरैक्ट सर्जरी, नी-कैप रिप्लेसमेंट, अल्जाइमर और पार्किंसन्स जैसी बीमारियां पर हेल्थ कवर मिलेगा।
इसके अलावा बीमा कंपनियां फैक्ट्री कर्मचारियों, रसायन फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों को लंबे समय के लिए होने वाली बीमारी जैसे सांस और त्वता संबंधी इलाज से भी इनकार नहीं कर सकेंगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इरडा ने बीमारियों को दायरे से बाहर करने का मानकीकरण कर दिया है। यानी अगर बीमा कंपनी एपिलेप्सी, किडनी की गंभीर बीमारी या एचआईवी या ए़ड्स को कवर नहीं करना चाहती है तो इसके लिए खास शब्द इस्तेमाल होंगे और एक खास वेटिंग पीरियड (30 दिन से एक साल) होगा।
इसके अलावा अगर किसी को एक कंपनी से दूसरे कंपनी ट्रांसफर किया जाता है तो और अगर उसने वेटिंग पीरियड की जरूरतों का एक हिस्सा पूरा कर लिया है, तब नई कंपनी उसपर सिर्फ अनएक्सफायर्ड वेटिंग पीरियड लागू कर सकती है।
बता दें कि साल 2018 में वर्किंग कमिटी ने इरडा को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें कहा गया था कि बीमा कंपनियां अल्जाइमर, पार्किंसन्स, एचआईवी या एड्स जैसी बीमारी को कवर से बाहर नहीं कर सकती हैं।