विनोद कुमार का चक्का फेंक में कांस्य पदक क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण रोका गया

By भाषा | Published: August 29, 2021 09:09 PM2021-08-29T21:09:17+5:302021-08-29T21:09:17+5:30

Vinod Kumar's discus throw bronze medal withheld due to protest over classification | विनोद कुमार का चक्का फेंक में कांस्य पदक क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण रोका गया

विनोद कुमार का चक्का फेंक में कांस्य पदक क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण रोका गया

पहाड़ी से गिरने के कारण 10 साल तब बिस्तर पर रहने वाले चक्का फेंक एथलीट विनोद कुमार ने रविवार को यहां तोक्यो पैरालंपिक में एशियाई रिकार्ड के साथ पुरूषों की एफ52 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता लेकिन उनके विकार के क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण वह जीत का जश्न नहीं मना पाये। बीएसएफ के 41 साल के जवान ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया। वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किये।हालांकि विरोध किसी अन्य प्रतिस्पर्धी द्वारा किया गया है जिसने एफ52 के उनके क्लासिफिकेशन पर आपत्ति जतायी है। विरोध का आधार अभी स्पष्ट नहीं है क्योंकि क्लासिफिकेशन की प्रक्रिया 22 अगस्त को पूरी हुई थी। एफ52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं। रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं।खेलों के आयोजकों के एक बयान के अनुसार, ‘‘प्रतियोगिता में क्लासिफिकेशन निरीक्षण के कारण इस स्पर्धा का नतीजा अभी समीक्षा के अधीन है। पदक समारोह भी 30 अगस्त के शाम के सत्र तक स्थगित कर दिया गया है। ’’पैरा खिलाड़ियों को उनके विकार के आधार पर वर्गों में रखा जाता है। क्लासिफिकेशन प्रणाली में उन खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति मिलती है जिनका विकार एक सा होता है। हरियाणा के इस खिलाड़ी का इन खेलों में पदार्पण करते हुए यह प्रदर्शन एशियाई रिकार्ड है जिससे भारत को मौजूदा चरण में तीसरा पदक भी मिला। विनोद के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए वह लेह में एक चोटी से गिर गये थे जिससे उनके पैर में चोट लगी थी। इसके कारण वह करीब एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था।उनकी स्थिति में 2012 के करीब सुधार हुआ और पैरा खेलों में उनका अभियान 2016 रियो खेलों के बाद शुरू हुआ। उन्होंने रोहतक के भारतीय खेल प्राधिकरण केंद्र में अभ्यास शुरू किया और राष्ट्रीय प्रतियोगिता में दो बार कांस्य पदक जीते। उन्होंने 2019 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया जब उन्होंने पेरिस ग्रां प्री में शिरकत की और फिर इसी साल विश्व चैम्पियनशिप में चौथे स्थान पर रहे। उनसे पहले रविवार को भाविनाबेन पटेल ने महिलाओं की एकल टेबल टेनिस स्पर्धा क्लास 4 में और निषाद कुमार ने पुरूषों की टी47 ऊंची कूद स्पर्धा में रजत पदक जीते थे।

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Web Title: Vinod Kumar's discus throw bronze medal withheld due to protest over classification

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