भारतीय तीरंदाजी टीम एक बार फिर ओलंपिक से खाली हाथ लौटी, योजना की कमी का दिखा असर

By भाषा | Published: August 1, 2021 04:38 PM2021-08-01T16:38:07+5:302021-08-01T16:38:07+5:30

Indian archery team once again returned empty handed from Olympics, lack of planning showed effect | भारतीय तीरंदाजी टीम एक बार फिर ओलंपिक से खाली हाथ लौटी, योजना की कमी का दिखा असर

भारतीय तीरंदाजी टीम एक बार फिर ओलंपिक से खाली हाथ लौटी, योजना की कमी का दिखा असर

तोक्यो, एक अगस्त भारतीय तीरंदाजों का तोक्यो ओलंपिक का सफर ‘पर्यटक’ की तरह बिना पदक के ही खत्म हुआ, जहां उनके सटीक निशाने कम लगे और चूक अधिक हुई।

भारत की सबसे सफल तीरंदाजों में से एक दीपिका कुमारी देश को ओलंपिक पदक नहीं दिला सकीं, लेकिन वह इन खेलों के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं।

इस निराशा के बीच महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित सतारा जिले के दिहाड़ी मजदूर के बेटे प्रवीण जाधव उम्मीद की किरण  बन कर उभरे।

रैंकिंग चरण में भारतीयों में शीर्ष पर रहने वाले 25 साल के सेना के तीरंदाज ने दूसरे दौर में दुनिया के शीर्ष रैंकिंग वाले निशानेबाज ब्रैडी एलिसन से हारने से पहले शानदार तीरंदाजी की।

अतनु दास ने पूर्व ओलंपिक और विश्व चैंपियन ओह जिन हायक को हराकर लगातार दूसरी बार प्री-क्वार्टर फाइनल में जगह बनाने के साथ भारतीयों को खुश होने का मौका दिया लेकिन वह पांच बार के ओलंपिक खेलने वाले दिग्गज ताकाहारू फुरुकावा की चुनौती से पार नहीं पा सके।

भारत को सबसे ज्यादा उम्मीदें दीपिका और अतनु की मिश्रित युगल जोड़ी से थी लेकिन रैंकिंग चरण में अतनु के खराब प्रदर्शन के बाद यह जोड़ी बरकरार नहीं रही।

भारतीय खिलाड़ी कोरिया के तीरंदाजों की चुनौती से पार पाने में नाकाम रहे। विश्व रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज दीपिका और मिश्रित युगल जोड़ी के अलावा पुरुष टीम और पुरुष एकल में भी भारतीय तीरंदाजों को कोरियाई खिलाड़ियों से हार का सामना करना पड़ा। इस साल विभिन्न विश्व कप में पांच स्वर्ण पदक जीतने वाली दीपिका ने कोरिया की 20 साल की आन सान के खिलाफ निराशाजनक प्रदर्शन किया। वह मिश्रित टीम के क्वार्टर फाइनल में भी 10 अंक का एक भी निशाना नहीं लगा सकी, जिससे उनकी और जाधव की जोड़ी को हार का सामना करना पड़ा।

भारतीय अभियान के खत्म होने के बाद दीपिका और अतनु ने उनकी जोड़ी को तोड़ने पर नाराजगी जतायी।

पूर्व विश्व चैंपियन डोला बनर्जी ने कहा कि अगर दीपिका ने अपने अन्य साथी खिलाड़ियो के साथ अभ्यास नहीं किया तो यह तैयारियों के नजरिये से गलती थी।

साल 2007 की इस विश्व चैंपियन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि उसने दूसरों के साथ अभ्यास किया था या नहीं। अगर उसने अभ्यास के लिए सिर्फ अतनु को चुना था तो यह बड़ी गलती होगी।

उन्होंने कहा कि जाधव को मौका देने में कुछ भी गलत नहीं था क्योंकि वे एफआईटीए के नियमों के मुताबिक था।

उन्होंने कहा, ‘‘हां, आपके पास अपनी मूल जोड़ी को बनाये रखने का विकल्प होता है, लेकिन नियमों के मुताबिक हर देश अपने शीर्ष क्रम के खिलाड़ियों को भेजता है।’’

भारतीय खिलाड़ियों ने रैंकिंग चरण में ही खराब लय में होने का संकेत दे दिया था।

जाधव, अतनु और 39 साल के अनुभवी तरूणदीप राय शीर्ष 30 में जगह बनाने में नाकाम रहे जिसके बाद क्वालीफाइंग दौर में उन्हें मुश्किल चुनौती का सामना करना पड़ा।

टीम स्पर्धा में भी उन्हें नौवीं रैंकिंग मिली। दीपिका भी क्वालीफाइंग में नौवें स्थान पर रही।

विशेषज्ञों ने इसके लिए उस प्रणाली को भी जिम्मेदार ठहराया जिसमें खेल महासंघ में कोच की जगह खिलाड़ी की बातों को तरजीह देता है।

एक पूर्व कोच ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, ‘‘ जब महासंघ सिर्फ तीरंदाजों की बातों को सुनता है तो निराशा हो सकती है। शीर्ष पर बैठे  किसी अधिकारी की को जवाबदेह होना चाहिए जैसा कि (पूर्व महासचिव) परेश नाथ मुखर्जी ने किया था। उन्होंने लंदन ओलंपिक के लिए फैसले लिये थे और खराब प्रदर्शन के बाद पद छोड़ दिया था। अब महासंघ में खिलाड़ियों की ही सुनी जाती हैं।

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