तोक्यो में प्रदर्शन अच्छा लेकिन जमीनी स्तर पर खेलों को बढ़ावा देना जरूरी: कर्णम मल्लेश्वरी
By भाषा | Published: August 8, 2021 05:08 PM2021-08-08T17:08:18+5:302021-08-08T17:08:18+5:30
... अमित आनंद...
नयी दिल्ली, आठ अगस्त ओलंपिक खेलों में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी पूर्व भारोत्तोलक कर्णम मल्लेश्वरी तोक्यो 2020 में भारत के प्रदर्शन से संतुष्ट हैं लेकिन उनका मानना है कि देश को खेलों की महाशक्ति बनने के लिए जमीनी स्तर इसे बढ़ावा देने के साथ प्रतिभाओं की पहचान करना जरूरी है।
तोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा (भाला फेंक) के स्वर्ण सहित सात पदक जीतकर भारत ने इन खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
कर्णम मल्लेश्वरी ने 2000 में सिडनी में हुए ओलंपिक खेलों में भारोत्तोलन (69 किग्रा वर्ग) में कांस्य पदक जीता था। वह सिडनी खेलों में पदक जीतने वाली इकलौती भारतीय खिलाड़ी थी।
तोक्यो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित तौर पर हमारे खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन किया, हालांकि हमने जितना अनुमान लगाया था, उतने पदक नहीं आये। हमने सोचा था कि 10 से 12 पदक आयेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हम निशानेबाजी और तीरंदाजी पदक से चूक गये, बाकी दूसरे खेलों से अच्छे नतीजे मिले। हमें लगा था कि दोनों स्पर्धाओं (तीरंदाजी और निशानेबाजी) में कुल तीन-चार पदक आयेंगे। हम मीराबाई चानू (भारोत्तोलन) और नीरज चोपड़ा के पदक को लेकर अश्वस्त थे। कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन और हॉकी में भी पहले से पदक का अनुमान था।’’
भारतीय निशानेबाजों और तीरंदाजों पर उम्मीदों के दबाव के बारे में पूछे जाने पर मल्लेश्वरी ने कहा, ‘‘अगर आप खिलाड़ी है तो आप पर दबाव तो हमेशा होगा। जहां तक उनके प्रशिक्षण और अभ्यास का सवाल है तो मैं नहीं समझती की इस बार उस मामले में कोई कमी रही। सरकार और इन खेलों से जुड़े महासंघों ने खिलाड़ियों का पूरा ख्याल रखा था। खिलाड़ियों के पास कोच , फिजियो, चिकित्सकों की सुविधा थी। ’’
तोक्यो ओलंपिक के बाद भविष्य की तैयारियों के बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने पहले भी यह बात कही है कि ओलंपिक में पदकों की संख्या में तभी इजाफा होगा जब देश में जमीनी स्तर पर गंभीरता से काम होगा। अगर आप तोक्यो खेलों में गये हमारे खिलाड़ियों को देखेंगे तो इसमें से 80 प्रतिशत से अधिक गांवों या छोटे शहरों के हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ जब वे अपने बलबूते, संघर्ष कर के पहचान बनाते है तब जाकर उन्हें किसी से मदद मिलती है जबकि होना यह चाहिए कि जमीनी स्तर पर ही ध्यान देकर प्रतिभा की पहचान की जाए। जमीनी स्तर पर सही व्यवस्था नहीं होने के कारण ज्यादातर प्रतिभाएं सामने नहीं आ पाती हैं।’’
खेल रत्न पुरस्कार विजेता इस खिलाड़ी ने कहा, ‘‘ ‘खेलो इंडिया खेल’ इस मामले में एक अच्छी पहल है, इससे काफी फायदा होगा लेकिन उसका दायरा और बढ़ाने की जरूरत है।’’
भारत की महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन रियो ओलंपिक के बाद तोक्यो में अच्छा रहा। तोक्यो 2020 में मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में पदक जीत कर भारत का खाता खोला था। इसके बाद पीवी सिंधू ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी। पहली बार इन खेलों में भाग ले रही मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन ने भी कांस्य पदक जीता।
मल्लेश्वरी ने कहा, ‘‘मुझे महिला खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से काफी खुशी होती है। मुझे गर्व भी महसूस होता है कि मैंने जो रास्ता बनाया उस पर अब कई लड़कियां चल रही है और सफल हो रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ पहले तो लड़कियों का ओलंपिक में पहुंचना ही बड़ी बात होती थी, पदक के बारे में कोई सोचता नहीं था। अब कोई महिला खिलाड़ी ओलंपिक में जाती है तो सिर्फ उसमें भागीदारी की बात नहीं होती, अब वे पदक की दावेदार होती है।
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