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करियर के उतार-चढाव ने मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया: विनेश फोगट

By भाषा | Updated: April 23, 2021 18:49 IST

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...अमनप्रीत सिंह...

नयी दिल्ली, 23 अप्रैल तोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदक की बड़ी उम्मीदों में से एक महिला पहलवान विनेश फोगाट ने कहा कि करियर के उतार-चढाव ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया है ।

विनेश ने भारतीय खेल प्राधिकाण (साइ) द्वारा आयोजित मीडिया सम्मेलन में कहा , ‘‘करियर के उतार-चढ़ाव ने उन्हें मजबूत और परिपक्व बनाया है। मैं आज खुद को मानसिक रूप से मजबूत समझती हूं, यह ऐसा इसलिए है क्योंकि मैंने मुश्किल समय का सामना किया है। रियो ओलंपिक में चोटिल होने की घटना से मुझे काफी सीख मिली है।’’

विनेश से इससे पहले पूछा गया था कि क्या उन्हें लगता है कि वह जब भी ओलंपिक के लिए तैयार होती है तब उनके रास्ते में कोई बाधा आ जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘ हां, मैं पहले उस तरीके से सोचती थी लेकिन शायद कायनात चाहती थी, मैं और मजबूत बनूं। मेरे साथ यह सब इसलिये हुआ क्योंकि प्रकृति मुझे अधिक ताकतवर बनाना चाहती थी। ’’

रियो ओलंपिक में भी विनेश पदक की दावेदार थी लेकिन क्वार्टर फाइनल मुकाबले में चीन की सुन यानान के खिलाफ उनका घुटना फ्रैक्चर हो गया था। जिसके बाद उन्हें स्ट्रैचर के सहारे देश वापस लौटना पड़ा था।

तोक्यो ओलंपिक को पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण एक साल के लिए टाल दिया गया था और इस वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण एक बार फिर इसके आयोजन पर खतरा मंडराने लगा है।

वह इस दौरान खुद भी कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार हुई लेकिन बीमारी से उबर कर उन्होंने रोम में मात्तेओ पेलिकोन और अल्माटी में एशियाई चैम्पियन को जीत कर शानदार वापसी की।

उनसे पूछा गया कि क्या वह इस बात को लेकर डर रहीं है कि तोक्यो खेलों का अयोजन नहीं होगा जहां वह पदक की दावेदार है। विनेश ने कहा, ‘‘ पिछले साल मेरे दिमाग में यह बात आयी थी लेकिन अब नहीं। तोक्यो में अगर मैं पदक जीत जाती हूं तो कुश्ती नहीं छोडूंगी। पहले मैं सोचती थी कि अगर हार गयी तो लोग क्या कहेंगे। अब मैंने महसूस किया है कि जीत और हार का असर दो दिनों के लिए रहता है। लोग उसके बाद भूल जाते है। रियो की घटना ने मुझे बदल दिया है। अब मैं खुद के लिए इस खेल का लुत्फ उठाने के लिए खेलती हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर तोक्यो ओलंपिक नहीं हुआ तो भी कुश्ती खत्म नहीं होगी। मुझे इस दौरान जो भी मौका मिलता है उसका फायदा उठाना चाहिये। मैं सिर्फ इस बात को लेकर चिंतित हूं कि किसी विशेष स्थिति में क्या करने की आवश्यकता है।’’

विनेश ने कहा कहा कि 2016 के बाद वह मानसिक तौर पर काफी मजबूत हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले हार के बाद मैं भावनात्मक रूप से टूट जाती थी। मुझे हार या चोट का सामना करने में परेशानी होती थी। लेकिन अब मैं परिपक्व हो गयी हूं, हार को आसानी से पचा लेती हूं। मुझे पता है कि हार से ही सुधार संभव है। अब मैं गुस्सा और बेवजह आक्रमकता का प्रदर्शन नहीं करती हूं।’’

विनेश ने कहा कि उनके बेल्जियम के कोच वॉलर अकोस के साथ काम करने से भी उन्हें काफी मदद मिली है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मैं अब बहुत आसानी से कुश्ती करती हूं और कोई भी इसे बाहर से देख सकता है। मेरी गति बेहतर हो गई है, मैं अपने हाथों का बेहतर उपयोग करती हूं। मैं अब जल्दबाजी नहीं दिखाती हूं। अपने दांव को अच्छे से अंजाम दे रही हूं। हर प्रतिद्वंद्वी या जगह के लिए एक अलग रणनीति है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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