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भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु शहीदी दिवस: इन विचारों को पढ़ गर्व से फूल जाता है सीना, Facebook, Whatsapp पर दोस्तों संग करें शेयर

By गुलनीत कौर | Updated: March 22, 2019 14:49 IST

शहीद भगत सिंह का एक विचार बेहद प्रचलित है - 'आदमी को मारा जा सकता है, उसके विचारों को नहीं'। भगत सिंह का यह विचार आज की सच्चाई बन गया। आज भी लोगों के जहां में शहीद भगत सिंह की कही एक एक बात बसी है।

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भारतीय इतिहास में 23 मार्च की तारीख एक ऐई तारीख है जिसे हर देशभक्त याद रखता है। इसी दिन भारत के तीन सपूत भगत सिंह, सुखदेव औ राजगुरु ने देश की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दिया था। भारत माता की रक्षा और स्वतंत्रा के लिए शहीदी दी थी। भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों से अपना नाम दर्ज कराया था। आज भी देश का हर सच्चा नागरिक गौरव से सीना फुलाकर भगत सिंह, सुखदेव सुर राजगुरु का नाम लेता है। 

शहीद भगत सिंह का एक विचार बेहद प्रचलित है - 'आदमी को मारा जा सकता है, उसके विचारों को नहीं'। भगत सिंह का यह विचार आज की सच्चाई बन गया। आज भी लोगों के जहां में शहीद भगत सिंह की कही एक एक बात बसी है। अंग्रेजों ने भले ही भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शाहेद कर दिया, लेकिन तीनों की कुर्बानी की दास्ताँ, उनके विचार और बुलंद क्रांतिकारी स्वभाव की छवि आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। 

भगत सिंह, सुखदेव, राजुगुरु के शहीदी दिवस पर पढ़ें भगत सिंह के प्रेरणादायक विचार:

- “जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।”

- “प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।”

- “देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।”

- “सूर्य विश्व में हर किसी देश पर उज्ज्वल हो कर गुजरता है परन्तु उस समय ऐसा कोई देश नहीं होगा जो भारत देश के सामान इतना स्वतंत्र, इतना खुशहाल, इतना प्यारा हो।”

- “राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।”

- “किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं। महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं।”

यह भी पढ़ें: महात्मा गांधी के अनमोल विचार जिनमें छुपा है सफल जीवन का राज

- “जरूरी नहीं था कि क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था।”

- “आम तौर पर लोग जैसी चीजें हैं उसके आदी हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की जरूरत है।”

- “जो व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रूढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनौती देनी होगी।”

- “मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा , आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ। पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है।”

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