Independence Day 2024: अनगिनत बलिदानों से मिली है आजादी, जानें उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में

By अंजली चौहान | Published: August 12, 2024 05:17 AM2024-08-12T05:17:00+5:302024-08-12T05:17:00+5:30

Independence Day 2024: इस वर्ष रहम अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले हैं

Independence Day 2024 know about the freedom fighters who sacrificed for freedom | Independence Day 2024: अनगिनत बलिदानों से मिली है आजादी, जानें उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में

Independence Day 2024: अनगिनत बलिदानों से मिली है आजादी, जानें उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में

Independence Day 2024:  भारत को आजादी दिलाने में न जाने कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना योगदान दिया। अगिनत बलिदानों के चलते हमें आजादी मिली। इन सेनानियों ने देश की खातिर अपना सबकुछ लुटा दिया। उनके बलिदान को देश कभी नहीं भुला सकता है।भले ही विचारधारा अलग हो लेकिन मकसद एक था कि देश को आजाद कराया जाए। अंतत: बरसों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को आजादी का वो दिन आया।

यहां हम कुछ स्वतंत्रता सेनानियों और उनके योगदान का उल्लेख कर रहे हैं-

महात्मा गांधी

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का योगदान अद्वितीय है। महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्होंने अंग्रजों के खिलाफ कई सारे आंदोलनों का नेतृत्व किया। जिनमें 1917 का चंपारण सत्याग्रह, 1918 का खेड़ा सत्याग्रह और अहमदाबाद मिल हड़ताल शामिल है। इन आंदोलनों ने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं। उन्होंने हमेशा संघर्ष जारी रखा और असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। उनके योगदान के लिए ही देश उन्हें राष्ट्रपिता बुलाता है।

सरदार वल्लभभाई पटेल

भारत के लौह पुरुष के नाम से सरदार पटेल को याद किया जाता है। आजादी के आंदोलन में उनका अहम योगदान रहा है। वे गुजरात सभा के सचिव हुआ करते थे। महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में गुजरात में 1918 में खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन शुरू करने के बाद वे एक जाना पहचाना नाम हो गए। इसके बाद उन्होंने बारडोली में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। स्वतंत्रता के बाद, वे भारत के गृह मंत्री बने।

भगत सिंह

भगत सिंह भारत की स्वतंत्रता के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था। वे दिल्ली में केंद्रीय विधान सभा बम विस्फोट मामले में भी शामिल थे और उन्होंने जेल में भूख हड़ताल की थी।

चंद्र शेखर आजाद

आजाद भारत के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। उन्होंने रामप्रसाद बिस्मिल के निधन के बाद हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) को संभाला। आजाद की माँ चाहती थीं कि वे संस्कृत के विद्वान बनें और उन्होंने उन्हें शिक्षा के लिए काशी विद्यापीठ भेजा। हालाँकि, नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय किया था, इसलिए वे स्वतंत्रता के विचार से आकर्षित हुए और परिणामस्वरूप महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। उन्हें 15 साल की उम्र में जिला अदालत में पेश किया गया और उनके पिता ने उन्हें आजाद नाम दिया और उनके घर का नाम जेल रखा। 

मंगल पांडे 

मंगल पांडे एक भारतीय सैनिक थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट रेजिमेंट में थे। मंगल पांडे की याद में भारत सरकार द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था। वे पहले भारतीय सैनिक थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद की और 1857 का विद्रोह सिपाही विद्रोह के रूप में जानी जाने वाली प्रमुख घटना बन गई। 

विनायक दामोदर सावरकर 

सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण सेनानी हैं। वह लेखक होने के साथ साथ हिंदू महासभा का एक प्रमुख चेहरा थे। वह नास्तिक थे लेकिन हिंदू दर्शन के प्रबल अनुयायी थे। उन्होंने "स्वतंत्रता का युद्ध" नामक पुस्तक लिखी थी जिसे ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों ने प्रतिबंधित कर दिया था।

अशफाकउल्लाह खान

अशफाकउल्लाह 1925 के काकोरी ट्रेन डकैती में शामिल थे। राम प्रसाद बिस्मिल के साथ उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। उन्हें फैजाबाद जेल में भी रखा गया और मौत की सजा सुनाए जाने के बाद अप्रैल 1927 में वहीं फांसी दे दी गई।

बिपिन चंद्र पाल

बिपिन चंद्र पाल का जन्म वर्तमान बांग्लादेश के हबीगंज जिले में हुआ था। वे एक धनी हिंदू परिवार से आते थे और उनके पिता एक फ़ारसी विद्वान थे। वे मुख्य रूप से लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और अरबिंदो घोष से प्रेरित थे। उन्हें उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों, 'भारतीय राष्ट्रवाद', ‘स्वराज और ‘राष्ट्रीयता और साम्राज्य’, ‘सामाजिक सुधार का आधार’ के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत में स्वराज के विचार को फैलाने का श्रेय दिया जाता है।

दादाभाई नौरोजी

दादाभाई नौरोजी, जिन्हें "भारत के ग्रैंड ओल्ड मैन" और "भारत के अनौपचारिक राजदूत" के रूप में जाना जाता है। नौरोजी एक राजनेता, लेखक और विद्वान थे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में सहायक थे और 1886, 1893 और 1906 में तीन बार पार्टी अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने 'वेल्थ ड्रेन थ्योरी' दी और अपनी पुस्तक "पूवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया" के माध्यम से दुनिया का ध्यान आकर्षित किया।

Web Title: Independence Day 2024 know about the freedom fighters who sacrificed for freedom

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे