26 सालों से इस मंदिर की रखवाली कर रहे हैं मुसलमान, बाबरी विध्वंस के बाद भी नहीं डिगा ईमान
By जनार्दन पाण्डेय | Published: September 17, 2018 03:48 PM2018-09-17T15:48:18+5:302018-09-17T17:15:43+5:30
"यहां एक भी हिन्दू नहीं रहते। लेकिन मंदिर में आप एक खरोच भी नहीं पाएंगे।"
मुजफ्फरनगर, 17 सितंबरः मुजफ्फनगर शहर से करीब 2 किलोमीटर दूर लद्धेवाला रोड पर दो इमारतों के बीच एक मंदिर स्थित है। 1990 के दशक से भी पहले उस क्षेत्र में रहने वाले हिन्दू कहीं और चले गए थे। लेकिन वह अपना मंदिर वही छोड़ गए थे। आज 26 साल बाद भी वह मंदिर वैसे के वैसे बरकरार है। जबकि इस समयांतराल में उत्तर प्रदेश के ही अयोध्या में बाबरी विध्वंस भी हुआ। लेकिन यहां मंदिर के बगल रहने वाले मुसलमान परिवार रोजाना उस मंदिर की साफ-सफाई आदि करते हैं। हर दीवाली पर मंदिर का चूना कराते हैं। इतना ही नहीं वह मंदिर को आसपड़ोस के जानवरों से भी बचाते हैं।
वहीं रहने वाले 60 साल के बुजुर्ग मेहरबान अली बताते हैं, "मुझे याद है 1990 के दशक में एक सामुदायिक विवाद होने के कुछ दिन बाद ही हिन्दू परिवार यहां से चले गए थे। उनमें मेरा एक करीबी दोस्त जितेंद्र कुमार भी था। मैंने तनाव बढ़ने के बाद भी उसे रोकने की कोशिश की थी। लेकिन उसे भरोसा नहीं करा पाया। दूसरे परिवारों के साथ वह भी चला गया। लेकिन उसने वायदा किया था कि वह एक दिन लौट आएगा। पर अभी तक तो नहीं आया है।"
इस मंदिर के आसपास करीब 35 मुसलमान परिवार रहते हैं। वहां रहने वाले अली को अभी भी भरोसा है कि एक ना एक दिन हिन्दू परिवार यहां लौट आएंगे। स्थानीय लोग बताते हैं यहां करीब 20 हिन्दू परिवार रहते थे। उन्हीं लोगों ने करीब 1970 के दशक में इस मंदिर का निर्माण कराया था। जहीर अहमद बताते हैं, "हम लोग इसकी लगातार साफ-साफाई कर देते हैं। दीवारों को रंगवा देते हैं। हम चाहते हैं कि वे लोग लौटें और अपने मंदिर का नियंत्रण अपने हाथ में ले लें।"
यहीं कि पूर्व नगर वार्ड मेंबर नदीम खान बताते हैं, "स्थानीय लोग हर दीवाली आपस में चंदा इकट्ठा करते हैं। इससे वह मंदिर रंगाई समेत और कामकाज का खयाल भी रखते हैं।" वहां के स्थानीय लोग अलग-अलग समय पर पारी बांधकर मंदिर की रखवाली करते हैं। द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के मुताबिक इस वक्त मंदिर की रखवाली गुलजार सिद्दकी, पप्पू भाई, कय्यूम अहमद, नौशाद, जहीन अहमद और मकसूद अहमद के परिवार कर रहे हैं।
सिद्दकी कहते हैं, "यहां एक भी हिन्दू नहीं रहते। लेकिन मंदिर में आप एक खरोच भी नहीं पाएंगे। वे हम पर से भरोसा खो देंगे, अगर हम इसकी रक्षा ना करें। और हम ऐसा बिल्कुल नहीं चाहते।" द टाइम्स ऑफ इंडिया ने ही कुछ दिनों पहले एक खबर प्रकाशित की थी मुजफ्फनगर के ही नानहेडा गांव में एक 59 वर्षीय हिन्दू एक 120 साल पुरानी मस्जिद की देखभाल करते हैं। ऐसा वह करीब 26 साल से कर रहे हैं।