मालेगांव बम विस्फोट के आरोपी ने कहा- हेमंत करकरे जिंदा रहते तो मैं मामले से पहले ही दोषमुक्त हो जाता
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 22, 2019 08:02 AM2019-04-22T08:02:55+5:302019-04-22T08:11:33+5:30
बम विस्फोट मामले के एक अन्य आरोपी राकेश धावड़े, उसकी वकील नीता धावड़े की मौजूदगी में कुलकर्णी ने रविवार को पत्र परिषद में कहा कि साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर ने अपना बयान वापस ले लिया है. जब हेमंत करकरे को यह पता चल गया कि हमारा मालेगांव बम विस्फोट से कोई संबंध नहीं है, उसके बाद से हमारे साथ कोई मारपीट नहीं की गई. वे जीवित रहते तो उनके आरोपपत्र दाखिल करने के पूर्व ही हम छूट गए होते. उनके शहीद हो जाने से हमारा नुकसान हुआ.
मालेगांव बम विस्फोट मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी ने यहां कहा कि शहीद हेमंत करकरे के लिए उनके दिल में बहुत सम्मान है. अगर वे जिंदा रहते तो इस मामले से बहुत पहले मैं दोषमुक्त हो गया होता. शहीदों का किसी को भी भूल कर भी अपमान नहीं करना चाहिए.
बम विस्फोट मामले के एक अन्य आरोपी राकेश धावड़े, उसकी वकील नीता धावड़े की मौजूदगी में कुलकर्णी ने रविवार को पत्र परिषद में कहा कि साध्वी प्रज्ञासिंह ठाकुर ने अपना बयान वापस ले लिया है. जब हेमंत करकरे को यह पता चल गया कि हमारा मालेगांव बम विस्फोट से कोई संबंध नहीं है, उसके बाद से हमारे साथ कोई मारपीट नहीं की गई. वे जीवित रहते तो उनके आरोपपत्र दाखिल करने के पूर्व ही हम छूट गए होते. उनके शहीद हो जाने से हमारा नुकसान हुआ.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद रोधी दस्ते में भी कुछ अच्छे अधिकारी हैं, इसलिए हम आज जिंदा हैं. इस दौरान वकील नीता धावड़े ने कहा कि नौ वर्ष जेल में गुजारने के बाद राकेश धावड़े चार प्रकरणों में निर्दोष साबित हुए. मैं वकील रहकर भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाई. उन्होंने सवाल किया, जरा सोचिए कि सामान्य आरोपी की क्या गति होती होगी?
राकेश धावड़े ने कहा कि मैं इतिहास का अभ्यासक हूं. हम उस समय की राजनीति के बलि चढ़ गए. मेरे साथ 62 दिनों तक अमानवीय मारपीट की गई. अब मामले से मेरा नाम पूरी तरह से हटा दिया गया है. प्रज्ञा सिंह की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग साध्वी प्रज्ञा सिंह के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून के अंतर्गत मुकदमा चल रहा है. उन्हें जमानत मिली हुई है. इसलिए उनको चुनाव लड़ने की अनुमति न दी जाए और उनकी उम्मीदवारी रद्द की जाए. यह मांग चुनाव आयोग से की गई है. इस मांग पत्र पर सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बाबा आढ़ाव, पन्नालाल सुराणा, अजीत अभ्यंकर, सुभाष वारे, किरण मोघे, सुनीति सु. र., डॉ. वर्षा आल्हाट आदि लगभग चालीस संगठनों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं.