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कोविड-19ः कोरोना केस में महाराष्ट्र सबसे आगे, मरने वाले रोगियों में 70 प्रतिशत इन बीमारियों से पीड़ित, जानिए रिपोर्ट

By शिरीष खरे | Updated: August 12, 2020 20:06 IST

महाराष्ट्र के ज्यादातर जिलों में कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग ने रोगियों की मृत्यु के पीछे के कारणों को जानने के लिए आंकड़े जुटाए हैं.

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ठळक मुद्देराज्य में कोरोना (कोरोना सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित) संक्रमण के कारण सबसे अधिक मौतें हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कोरोना संक्रमण से होने वाली कुल मौतों में 70 प्रतिशत रोगी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे.महज 30 प्रतिशत मौतें थीं जिनमें कोरोना से संक्रमित रोगियों को किसी तरह की गंभीर बीमारी नहीं थी.

पुणेः महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के कारण मरने वाले रोगियों में से 70 प्रतिशत मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी या हृदय रोग से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे. राज्य के चिकित्सा शिक्षा व औषधि विभाग द्वारा दी गई रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.

कोरोना संक्रमण और इससे होने वाली मौतों के मामले में महाराष्ट्र देश के अन्य राज्यों से आगे हैं. बता दें कि राज्य में कोरोना (कोरोना सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित) संक्रमण के कारण सबसे अधिक मौतें हुई हैं. राज्य के ज्यादातर जिलों में कोरोना की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए चिकित्सा शिक्षा और औषधि विभाग ने रोगियों की मृत्यु के पीछे के कारणों को जानने के लिए आंकड़े जुटाए हैं.

इस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में कोरोना संक्रमण से होने वाली कुल मौतों में 70 प्रतिशत रोगी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे. महज 30 प्रतिशत मौतें थीं जिनमें कोरोना से संक्रमित रोगियों को किसी तरह की गंभीर बीमारी नहीं थी.

बता दें कि यह आधिकारिक आंकड़े 10 अगस्त को जारी किए गए हैं

बता दें कि यह आधिकारिक आंकड़े 10 अगस्त को जारी किए गए हैं. तब तक की स्थिति में महाराष्ट्र के सभी जिलों के अंतर्गत कुल 4,144 कोरोना संक्रमित रोगियों की मृत्यु हुई हैं. इनमें से 2,898 यानि 70 प्रतिशत रोगी बताई गई गंभीर बीमारियों की चपेट में थे. वहीं, 1,246 या 30 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु के पीछे कोरोना मुख्य वजह बना.

इस रिपोर्ट में दूसरी चौंकाने वाली बात यह कही गई है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कोरोना संक्रमण होने और उसकी वजह से मरने का खतरा अधिक होता है. सरकारी आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में पांच लाख 2,531 कोरोना के रोगियों में से तीन लाख 7,926 पुरुष हैं.

राज्य के कुल कोरोना रोगियों में एक लाख 94, 605 महिलाएं कोरोना से संक्रमित

दूसरी तरफ, राज्य के कुल कोरोना रोगियों में एक लाख 94, 605 महिलाएं कोरोना से संक्रमित हुई हैं. इस तरह, राज्य में 61 प्रतिशत पुरुष और 39 प्रतिशत महिलाएं कोरोना संक्रमित हैं. इस दौरान, कोरोना संक्रमित होने के बाद मरने वाले रोगियों में पुरुष की संख्या भी आधे से अधिक बताई जा रही है.

रिपोर्ट में एक अन्य बात की भलीभांति पुष्टि हुई हैं. इसमें बताया गया है कि राज्य में तेरह हजार से अधिक सक्रिय रोगी हैं जिनमें कोरोना संक्रमण से जुड़े लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं. जानकार बता रहे हैं कि किसी व्यक्ति पर कोरोना संक्रमण होने के बाद भी कई बार 86 दिनों की अवधि में लक्षण दिखाई दे रहे हैं.

यही वजह है कि राज्य में हर दिन कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या अनुमान से कम होती जा रही है. उदाहरण के लिए, 19,132 कोरोना के सक्रिय रोगियों की जांच की गई तो 13,296 में कोरोना के लक्षण दिखाई नहीं दिए. राज्य की राजधानी मुंबई की स्थिति देखें तो 90 हजार से अधिक कोरोना रोगी स्वस्थ हो गए हैं.

जबकि, इसकी चपेट में आने के बाद छह हजार से अधिक रोगी की मृत्यु हो चुकी है. बताया जा रहा है कि मरने वालों में ज्यादा संख्या वरिष्ठ नागरिकों की है. इसके अलावा बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं भी हैं जो कोरोना से संक्रमित हुईं. इनकी मृत्यु के बाद जांच में पाया गया कि ज्यादातर पहले से ही कुछ गंभीर बीमारियों से  ग्रस्त थे.

यही वजह है कि राज्य के चिकित्सक अधिक आयु-वर्ग वाले बीमार व्यक्तियों को अधिक सावधान रहने के सुझाव दे रहा है. इसलिए, कई विशेषज्ञ डॉक्टर कोरोना होने के बाद ऐसे लोगों की विशेष देखभाल करने की अपील कर रहे हैं. जाहिर है राज्य चिकित्सा शिक्षा व औषधि विभाग द्वारा जारी यह आधिकारिक रिपोर्ट भी इस मंशा से तैयार की गई है कि लोग इस संक्रमण से जुड़ी सच्चाई को समझें और अधिक से अधिक बचाव के तरीके इस्तेमाल करें.

महाराष्ट्र में कोरोना आंकड़ों में (10 अगस्त तक)

4,144 - कोरोना संक्रमित रोगियों की कुल मृत्यु

2,898 (70%) - गंभीर बीमारियों से पीड़ित रोगियों की मृत्यु

1,246 (30%) - मुख्यत: कोरोना संक्रमण से हुई मृत्यु

5,02,531 - कुल संक्रमित मरीज

3,07,926 (61%) - संक्रमित पुरुष

1,94,605 ​​(39%) - संक्रमित महिलाएं

जिन लोगों के शरीर में पहले से बीमारियों से लड़ने की ताकत कम

वर्ली कोरोना केंद्र में एनएससीआई प्रमुख नीता वर्टी भी अपने अनुभवों से इसी बात की पुष्टि करती हैं. वे बताती हैं कि जिन लोगों के शरीर में पहले से बीमारियों से लड़ने की ताकत कम हैं या जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है, उनमें कोरोना संक्रमण से मरने की आशंका अधिक होती है.

वे कहती हैं, 'ऐसे मरीजों के साथ दिक्कत यह है कि वे जल्दी ठीक भी नहीं होते हैं. उनके लिए यह संक्रमण खतरनाक साबित हो सकता है. वहीं, जो सामान्य हैं, जिन्हें अन्य बीमारियां नहीं हैं, वे कोरोना को सफलतापूर्वक पार कर सकते हैं.'

दूसरी तरफ, बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई बातचीत में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बताया कि राज्य ने कोरोना का एक भी प्रकरण और उससे होने वाली मौत नहीं छिपाई है. उन्होंने कहा कि प्रशासन के पास वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सहित सभी सुविधाओं से सम्पन्न करीब साढ़े तीन लाख बिस्तर हैं.

सुविधाओं को अच्छी तरह से रोगियों तक पहुंचाने वाले डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ की कमी

हालांकि, इस दौरान मुख्यमंत्री ने यह माना कि इन सुविधाओं को अच्छी तरह से रोगियों तक पहुंचाने वाले डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ की कमी है. इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण के कारण मृत्यु-दर नियंत्रित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है और उन्हें इस मामले में सफलता मिलती भी दिख रही है.

मुंबई के धारावी और वर्ली जैसे सघन आबादी में कोरोना संक्रमण को रोक पाने के कारण इन्हें दुनिया भर में एक मॉडल की तरह देखा जा रहा है. लेकिन, यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोरोना के बाद भी रोगी की निगरानी और उसे चिकित्सा देने की योजना पर जोर दिया.

दरअसल, कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बावजूद कई प्रकरणों में ऐसे व्यक्ति दूसरी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इसलिए उन्हें कोरोना उपरांत चिकित्सा के लिए समानांतर एक समर्थ व्यवस्था बनाने का सुझाव प्रधानमंत्री मोदी को दिया. उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र मुंबई सहित राज्य के सभी जिलों में संक्रमण रोग नियंत्रण अस्पताल शुरू करना चाहता है.

इसके अलावा उन्होंने इम्यूनिटी लैब संख्या बढ़ाने की बात भी कहीं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की इन सब बातों के पीछे के मायने हैं कि राज्य में कोरोना से होने वाली मौत से जुड़े आंकड़े चिंताजनक हैं. इसलिए, राज्य सरकार के सामने इसे जल्द से जल्द काबू में लाना एक बड़ी चुनौती बन गई है.

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