मध्य प्रदेश: रतलाम में जनआशीर्वाद यात्रा में नहीं जुटी समर्थकों की भीड़, खाली दिखीं कुर्सियां

By राजेश मूणत | Published: September 10, 2023 01:46 PM2023-09-10T13:46:13+5:302023-09-10T13:48:11+5:30

कुल मिलाकर रतलाम में जारी इस लड़ाई को धन वैभव और कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की लड़ाई के रूप में निरूपित किया जा रहा है।

Madhya Pradesh Crowd of supporters did not participate in Jan Ashirwad Yatra in Ratlam chairs were seen empty | मध्य प्रदेश: रतलाम में जनआशीर्वाद यात्रा में नहीं जुटी समर्थकों की भीड़, खाली दिखीं कुर्सियां

फोटो क्रेडिट- फाइल फोटो

रतलाम: मध्य प्रदेश में जारी भारतीय जनता पार्टी की जनआशीर्वाद यात्रा बीती शाम को रतलाम शहर में पहुंची थी। जनसमर्थन हासिल करने के लिए रतलाम पहुंची, इस यात्रा को जनसमर्थन तो ठीक पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों तक का समर्थन नहीं मिल पाया।

यात्रा को संबोधित करने के लिए केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला पूर्व मंत्री विक्रम वर्मा और भोपाल के बहुचर्चित विधायक रामेश्वर शर्मा की मौजूदगी थी।

बावजूद इसके आम लोग तो ठीक कुछ सैकड़ा कार्यकर्ता भी सभा में मौजूद नहीं हुए। दरअसल, रतलाम शहर सीट वर्षों से भाजपा का गढ़ क्षेत्र है लेकिन पिछले कुछ समय से इस विधानसभा क्षेत्र में  धन वैभव और पार्टी के प्रति तन मन से समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं के मध्य अघोषित सी जंग चल रही है। 

ज्ञातव्य है की रतलाम के भाजपा विधायक चैतन्य काश्यप प्रदेश के धनी विधायकों में दूसरे नंबर पर आते है। एक सफल उद्योगपति के साथ मैनेजमेंट गुरु के रूप में उनकी बड़ी प्रतिष्ठा है। लेकिन उनका पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं से तालमेल नहीं बन पा रहा है। 

वर्षों तक परिश्रम और समर्पण से पार्टी को रतलाम में अविजित बनाने वाले कार्यकर्ताओं की नाराजगी का असल कारण क्या है। इसके बारे में तमाम पार्टीजन उपेक्षित व्यवहार की तरफ इशारा करते है।

पार्टी के लोग अनुशासन का हवाला देते हुए खुले रूप में कुछ नही बता रहे है। लेकिन दबे स्वरों में जो बात सामने आती है, उसके अनुसार रतलाम में पैड वर्करों और कारपोरेट सिस्टम ने लंबे समय से निष्ठावान पार्टीजनों को दरकिनार कर दिया।

इससे धीरे धीरे अंदर ही अंदर नाराजगी पनपती रही। कार्यकर्ता समय का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही जन आशीर्वाद यात्रा का मौका आया। पार्टी के सभी प्रमुख क्षत्रपों ने कार्यक्रम से दूरी बना ली। 

कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और उनसे संवाद के अभाव का मामला विगत स्थानीय निकाय निर्वाचन के समय भी नाराजगी के साथ उभरकर आया था। लेकिन तब पार्टी के प्रदेश संगठनमंत्री हितानंद शर्मा ने रतलाम में डेरा डालकर अंतिम समय में बाजी बदल दी थी। 

भाजपा का महापौर हजारों मतों से लीड लेने के स्थान पर कुछ हजार मतों से जीत सका था। निकाय चुनाव में कड़ा संघर्ष झेलने के बाद कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का मसला सुलझ जाना था। लेकिन न तो पार्टी के प्रदेश नेतृत्व के स्तर पर कोई पहल हुई।

और नहीं स्थानीय स्तर पर गंभीरता रखी गई। इसलिए चुनावी श्री गणेश में ही पार्टी का बीते कल का जन आशीर्वाद यात्रा का कार्यक्रम टांय टांय फिस्स हो गया। 

यात्रा के समापन के मौके पर शहर के घनी आबादी के क्षेत्र धानमंडी चौराहे पर सभा आयोजित की गई थी। लेकिन अच्छे वक्ताओं की मौजूदगी के बावजूद इस सभा में भी तमाम कुर्सियां खाली रह गई।

कुल मिलाकर रतलाम में जारी इस लड़ाई को धन वैभव और कार्यकर्ताओं के मान सम्मान की लड़ाई के रूप में निरूपित किया जा रहा है।

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