इंदौर के शख्स ने दायर की थी RTI, 48 हजार पन्नों में मिला जवाब, एसयूवी में लादकर घर ले जाना पड़ा
By विनीत कुमार | Published: July 30, 2023 11:53 AM2023-07-30T11:53:26+5:302023-07-30T13:11:02+5:30
इंदौर के एक शख्स ने भ्रष्टाचार के एक मामले को लेकर जानकारी के लिए आरटीआई दायर किया तो उसे 48 हजार पन्नों में जवाब मिला। शख्स को जवाबों के इन दस्तावेजों को अपने एसयूवी से ले जाना पड़ा।
इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक अजब मामला सामने आया है। एक शख्स ने कोविड-19 महामारी के दौरान कथित भ्रष्टाचार के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी। हालांकि, उसे जो जवाब मिला, उसकी कल्पना शख्स ने सपने में भी नहीं की होगी। दरअसल, उसे मांगे गए जानकारी के जवाब 48,000 पन्नों में मिले। आलम ये हुआ उस व्यक्ति को अपने एसयूवी गाड़ी में रखकर दस्तावेजों को घर ले जाना पड़ा।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार धर्मेंद्र शुक्ला ने शनिवार को कहा, 'मैंने इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के समक्ष एक आरटीआई याचिका दायर की थी, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान दवाओं, उपकरणों और संबंधित सामग्रियों की खरीद से संबंधित निविदाओं और बिल भुगतान का विवरण मांगा था।'
सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुसार सूचना के अनुरोध के 30 दिनों के भीतर उसे प्रदान की जानी चाहिए। अनुपालन न होने की स्थिति में भी अधिकारी जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। धर्मेंद्र शुक्ला के मामले में सूचना देने में 32 दिन की देरी हुई।
चूँकि उन्हें एक महीने के भीतर सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई, इसलिए उन्होंने प्रथम अपीलीय अधिकारी डॉ. शरद गुप्ता से संपर्क किया, जिन्होंने याचिका स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि उन्हें सूचना निःशुल्क दी जाए।
एक महीने के भीतर याचिका का जवाब नहीं दिए जाने के कारण धर्मेंद्र शुक्ला को प्रति पृष्ठ निर्धारित 2 रुपये का भुगतान भी नहीं करना पड़ा। उन्होंने कहा, 'मैं दस्तावेजों को ले जाने के लिए अपनी एसयूवी ले गया और पूरा वाहन पैक हो गया। केवल ड्राइवर की सीट खाली रही।'
गुप्ता ने कहा कि उन्होंने सीएमएचओ को उन कर्मियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जिनकी वजह से राज्य के खजाने को 80,000 रुपये का नुकसान हुआ क्योंकि जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराई गई थी।