भोपाल से अनुराग श्रीवास्तव
Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश के विधानसभा के चुनाव संपन्न हो गए। छुटपुट हिंसा की खबर के बीच में मतदान पूरा कर लिया गया। मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा दर्ज हुआ है। जानकारी के मुताबिक इस बार लगभग 76 फीसदी मतदान हुआ है पिछली बार 75.63 मतदान दर्ज हुआ था।
आयोग के मुताबिक मतदान का प्रतिशत और ज्यादा बढ़ सकता है। आयोग डेटा जुटाने की मशक्कत में लगा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल दिनभर यही बना रहा की, प्रदेश में चुनाव से पहले धुआंधार प्रचार के जरिए मतदाताओं को जगाने वाले नेताओं में से किसकी लॉटरी लगने वाली है।
मतदान केंद्रों पर भी लोगों की जुबान पर बस एक ही सवाल था किसको वोट दिया। लेकिन वोट देने वाले वोटर ने खुलकर जवाब नहीं दिया। मतलब साफ है की चुनाव से पहले की खामोशी वोटिंग के दौरान टूटी जरूर, लेकिन वह किसके पक्ष में हुई यह अभी बड़ा सवाल बना हुआ है।
आलम यह भी है कि मतदान प्रतिशत को लेकर देर शाम से ही कयासों के दौर तेज हो गए जिन सीटों पर मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा हुआ उसका गुणा भाग और जिन सीटों पर 2018 के चुनाव के मुकाबले कम वोट डाले गए उसको लेकर भी सियासी गुणा भाग तेज हो गया।
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि तमाम एजेंसियां भी इस बात का पता करने में जुट गई कि वोट देकर आने वाले वोटर ने किसके पक्ष में वोट किया। लेकिन वोटर अपने वोट का सच बताने को तैयार नहीं है। मतलब साफ है यह खामोशी 3 दिसंबर को जारी होने वाले नतीजे के बाद साफ होगी।
लेकिन आलम यह है जिन सीटों पर पीएम मोदी से लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा केंद्रीय मंत्री अमित शाह धुआंधार प्रचार करने वाले सीएम शिवराज प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और खुद कमलनाथ ने चुनावी सभाएं की।
वहां के नतीजे किस करवट बैठेंगे, ये साफ तौर पर कोई कुछ नही कह पा रहा। यानी की मतदाता इस बार के चुनाव में कहीं दिलचस्पी दिखाता हुआ नजर आया तो कहीं मौन भी दिखा। अब चर्चा इस बात की है की विधानसभा चुनाव को लेकर जो वोटिंग का प्रतिशत निकल कर आ रहा है । वोट का प्रतिशत किसके पक्ष में जाएगा।
यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो...
93 में 60.17(+5.96)% वोट के साथ कांग्रेस सत्ता में आई
98 में 60.21(+0.04)% वोट की वृद्धि के साथ एक बार फिर कांग्रेस सत्ता में आई
2003 में 67.25(+7.04)% वोट बढ़ा, लेकिन सत्ता भाजपा को मिली।
2008 में 69.78(+2.53)% की वृद्धि के साथ सत्ता में भाजपा ने कब्जा जमाया।
2013 में 72.13(+2.35)% ज्यादा वोट के साथ सत्ता में भाजपा फिर आई।
और इसके बाद धारणा बनी के ज्यादा वोट आने से भाजपा को चुनाव में फायदा होता है लेकिन कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में इसे पलटा और
2018 में 75.63(+3.50)% की बढ़ोत्तरी होने पर सत्ता में कांग्रेस ने कब्जा जमा लिया।
लेकिन इस बार वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए बीजेपी ने पूरा दमखम लगाया है शुक्रवार को हुए मतदान में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता शाम ढलने के साथ सक्रिय नजर आए और जो लोग वोट देने से चूक गए थे उन्हें निकालने की कोशिश की गई।
यही वजह रही कि मतदान का समय खत्म होने के बाद के आखिरी समय तक मतदान केदों में लंबी कतार देखने को मिली इसी वजह से कई मतदान केदों पर 7:00 बजे तक वोटिंग डाली गई। लेकिन अब सवाल यह है कि पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार की वोटिंग किसको फायदा पहुंचाएगी।
इसका सही आकलन करना राजनीतिक पंडितों के लिए भी मुश्किल साबित हो रहा है। और अब इंतजार 3 दिसंबर का होगा जब ईवीएम से नतीजे बाहर आएंगे और साफ हो जाएगा की 17 नवंबर को डाले गये वोट में मतदाता ने किसकी तकदीर का फैसला कर डाला।