CMIE की रिपोर्ट, अप्रैल से अब तक भारत में 1.8 करोड़ वेतनभोगियों ने गंवाई अपनी नौकरी

By विनीत कुमार | Published: August 19, 2020 02:38 PM2020-08-19T14:38:16+5:302020-08-19T14:39:37+5:30

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जुलाई में ही भारत में सैलरी पाने वाले 50 लाख लोगों की नौकरी चली गई। वहीं, लॉकडाउन शुरू होने से लेकर अब तक की स्थिति को देखें तो मंजर और भी भयावह है।

CMIE report says over 1.8 crore salaried jobs lost since April, almost 50 lakh in July | CMIE की रिपोर्ट, अप्रैल से अब तक भारत में 1.8 करोड़ वेतनभोगियों ने गंवाई अपनी नौकरी

भारत में लगातार जा रही है वेतनभोगियों की नौकरी (फाइल फोटो)

Highlightsकोरोना लॉकडाउन का असर, भारत में करीब 50 लाख वेतनभोगियों की नौकरी जुलाई में चली गईलॉकडाउन के बाद अप्रैल से अब तक भारत में 1.8 करोड़ से अधिक वेतनभोगी कर्मचारियों अपनी नौकरी गंवा बैठे हैं

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार जुलाई में भारत में करीब 50 लाख वेतनभोगियों की नौकरी चली गई।  ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब अर्थशास्त्री भारत में वित्तीय संकट के पूरे साल जारी रहने की भविष्यवाणी कर रहे हैं।

सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के कारण लॉकडाउन लगाए जाने के बाद अप्रैल से अब तक भारत में 1.8 करोड़ से अधिक वेतनभोगी कर्मचारियों अपनी नौकरी गंवा बैठे हैं। 

यह गौर करने वाली बात है कि भारत में सभी रोजगार का 21 प्रतिशत वेतनभोगी रोजगार के रूप में है। ये अनौपचारिक क्षेत्र से जुड़े लोगों की संख्या से काफी कम है। वैसे अप्रैल के बाद से अनौपचारिक क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार में तेजी देखी गई है लेकिन वेतनभोगी नौकरियों में कमी एक चिंताजनक तस्वीर पेश कर रही है।

गौरतलब है कि अनौपचारिक क्षेत्र में रोजगार की तुलना में वेतनभोगी नौकरियां देश के सकल घरेलू उत्पाद में अधिक योगदान देती हैं, जो औपचारिक अर्थव्यवस्था पर काफी हद तक निर्भर है। वेतनभोगी रोजगार में कमी अप्रैल में शुरू हुई जब 1.7 करोड़ नौकरियां चली गईं। इसके बाद जून में 39 लाख नौकरियां गईं।

सीएमआईई के डाटा के अनुसार जुलाई में पचास लाख नौकरियों को फिर से चली गईं और वेतनभोगी कर्मचारियों की दुर्दशा लॉकडाउन शुरू होने के बाद से खराब ही होती रही हैं।

हालांकि लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ग्रामीण रोजगार में तेजी आई है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में मांग में कमी के कारण इसका असर कम ही होगा। कई रिपोर्टों से पता चलता है कि शहरी घरों में लोगों ने अपने मासिक खर्च में कटौती की है और कम खर्च कर रहे हैं। 

सीएमआईई द्वारा जारी किया गया ताजा जॉब डेटा भारत के आर्थिक सुधार के बारे में संदेह को भी बढ़ाता है क्योंकि मुद्रास्फीति, जीडीपी, फैक्टरी गतिविधि डेटा और राजकोषीय घाटे जैसे अन्य प्रमुख संकेत चिंताजनक बने हुए हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार वेतनभोगी नौकरियों में सुधार नहीं होने पर भारत की अनौपचारिक अर्थव्यवस्था सबसे कठिन राह पर होगी। उनका यह भी मानना ​​है कि इससे आर्थिक सुधार में काफी देरी होगी।

Web Title: CMIE report says over 1.8 crore salaried jobs lost since April, almost 50 lakh in July

रोजगार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे