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न्यायाधीश एस. मुरलीधर ने कहा, इस कोर्ट में मेरा अंतिम न्यायिक कार्य है, वकील बोले- हम सभी की प्रेरणा हैं आप

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 27, 2020 20:10 IST

केंद्रीय कानून मंत्रालय ने बुधवार की रात को तीन अलग अधिसूचनाएं जारी कर न्यायमूर्ति मुरलीधर और दो अन्य न्यायाधीश बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रणजीत वसंतराव मोरे और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवि विजय कुमार मलीमथ का तबादला कर दिया था। न्यायमूर्ति मुरलीधर का तबादला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में किया गया है।

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ठळक मुद्देभाजपा के तीन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने को लेकर पुलिस की आलोचना की थी।जस्टिस एस मुरलीधर गुरुवार की सुबह जस्टिस वी कामेश्वर राव के साथ अदालत में बैठे और फैसला सुनाया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एस. मुरलीधर के स्थानांतरण के समय को लेकर बृहस्पतिवार को विवाद पैदा हो गया। कांग्रेस ने कहा कि ‘‘मध्य रात्रि’’ में अधिसूचना जारी किया जाना ‘‘शर्मनाक’’ है, वहीं केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों पर ‘‘नियमित’’ स्थानांतरण का राजनीतिकरण करने के आरोप लगाए।

न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर ने कथित नफरत भरे भाषण के लिए भाजपा के तीन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करने को लेकर पुलिस की आलोचना की थी। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने बुधवार की रात को तीन अलग अधिसूचनाएं जारी कर न्यायमूर्ति मुरलीधर और दो अन्य न्यायाधीश बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रणजीत वसंतराव मोरे और कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रवि विजय कुमार मलीमथ का तबादला कर दिया था। न्यायमूर्ति मुरलीधर का तबादला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में किया गया है।

तबादले के नोटिफिकेशन के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर गुरुवार की सुबह जस्टिस वी कामेश्वर राव के साथ अदालत में बैठे और फैसला सुनाया। इस दौरान जस्टिस मुरलीधर ने कहा, " ये इस अदालत में मेरा अंतिम न्यायिक कार्य है।" इस दौरान अदालत में बहुत सारे वकील थे। एक वकील ने कहा कि जस्टिस मुरलीधर सभी की प्रेरणा हैं। इसके बाद जस्टिस मुरलीधर वहां से उठ कर चले गए।

दरअसल 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इसका विरोध किया था और एक दिन काम भी नहीं किया था। जस्टिस मुरलीधर ने वर्ष 1984 में चेन्नई में कानून का अभ्यास शुरू किया। तीन साल बाद, 1987 में, वह सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय आ गए। वह सुप्रीम कोर्ट कानूनी सेवा समिति के वकील के रूप में सक्रिय थे और बाद में दो कार्यकालों के लिए इसके सदस्य भी रहे।

उन्हें जनहित के कई मामलों में और दोषियों को मृत्युदंड देने वाले मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया था। उनके निशुल्क कार्य में भोपाल गैस आपदा के पीड़ितों और नर्मदा पर बांधों से विस्थापित लोगों के मामले शामिल थे। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारत के चुनाव आयोग के लिए भी परामर्श दिया और विधि आयोग के अंशकालिक सदस्य रहे। मई 2006 में, उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था।

वर्ष 2003 में, उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी से सम्मानित किया गया।दिल्ली उच्च न्यायालय में जज के तौर पर वह कई महत्वपूर्ण बेंचों में रहे हैं, जिसमें 2010 की फुल कोर्ट में भी शामिल थे जिसने सुप्रीम कोर्ट के जजों को अपनी संपत्ति को आरटीआई में घोषित करने के पक्ष में फैसला सुनाया था।

वह हाईकोर्ट की उस पीठ का एक हिस्सा थे जिसने 2009 में नाज फाउंडेशन मामले में समलैंगिकता को वैध बनाया था।उन्होंने उस पीठ का भी नेतृत्व किया जिसने हाशिमपुरा नरसंहार मामले में उत्तर प्रदेश प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी (PAC) के सदस्यों और 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था।

अधिसूचनाओं में कहा गया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भारत के प्रधान न्यायाधीश से विचार-विमर्श कर तबादलों को मंजूरी दी। दिल्ली उच्च न्यायालय में तीसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश मुरलीधर का तबादला ऐसे दिन हुआ जब उन्होंने भाजपा के नेता प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर पर कथित नफरत भरे भाषण को लेकर पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने में विफलता पर ‘‘क्षोभ’’ जाहिर किया था। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम की अनुशंसा पर न्यायमूर्ति मुरलीधर का तबादला किया गया।

उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि वे नियमित तबादले का राजनीतिकरण कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानांतरण में ‘‘स्थापित प्रक्रिया’’ का पालन किया गया है। भाजपा के संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कॉलेजियम की अनुशंसा के मुताबिक तबादला किया गया है। अनुशंसा 12 फरवरी को की गई थी।

 

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