ये हैं यूपी सीएम योगी के 'सपने' के गांव, "कुआं हो, तालाब हो, पीपल-बरगद और जामुन हो"
By भाषा | Published: September 9, 2018 01:01 PM2018-09-09T13:01:09+5:302018-09-09T13:01:09+5:30
प्रमुख सचिव (ग्राम्य विकास) अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में 4500 से अधिक पेयजल योजनाएं संचालित हो रही हैं।
लखनऊ, 9 सितंबर (अमृत मोहन): देश में भूजल के लगातार घटते स्तर के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने कल्पनाओं में बसे मनोहारी गांवों की छवि को अमली जामा पहनाने का बीड़ा उठाया है, जिसमें गांव हो, गांव के बीचोंबीच स्थित कुआं हो, बड़ा सा तालाब हो और कच्ची पक्की पगडंडियों के आसपास खूब छायादार एवं फलदार पेड़ पौधे तथा हरियाली हो।
दिनों दिन गिरते भूजल स्तर की चिन्ताओं के बीच भूजल को 'रीचार्ज' करने की तैयारी है और इसके लिए गांव के पुराने कुओं और तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा । उनके किनारे पीपल, बरगद और जामुन के पेड़ लगाये जाएंगे ताकि धरती की कोख में जल का स्तर बना रहे।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने भाषा से कहा, 'मनरेगा के तहत पुराने कुओं और तालाबों का जीर्णोद्धार कर उनके किनारे पीपल, पाकड़, जामुन और बरगद जैसे पौधे लगाने के निर्देश दे दिये गये हैं ताकि भूगर्भ जल रिचार्ज होता रहे ।'
उन्होंने कहा, 'भूजल स्तर लगातार गिर रहा है । बड़ा लक्ष्य गांवों में आम जनता को निरन्तर भरपूर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है । ग्रामीण क्षेत्रों में 2, 60, 110 बसावटें हैं । सभी क्षेत्रों विशेषकर बुन्देलखण्ड में पेयजल की समस्या है जिसे दूर करने के लिए सरकार ने गांवों में पाइप के जरिए शुद्ध पेयजल आपूर्ति की नीति बनायी है ।'
ग्राम्य विकास मंत्री महेन्द्र सिंह ने कहा, 'योजनाओं में आम जनता की सहभागिता आवश्यक है । गुजरात में भागीरथी पाइप पेयजल योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति की जा रही है। इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में पाइप के माध्यम से शुद्ध पेयजल आपूर्ति की नीति प्रस्तावित है ।'
जल निगम के अध्यक्ष जी पटनायक ने भाषा से बातचीत में कहा, 'पेयजल आपूर्ति में निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जाना चाहिए ।' उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नदियों का जाल फैला हुआ है और पर्याप्त जल सम्पदा भी है । इसका समुचित उपयोग एवं संरक्षण की आवश्यकता है ।
ग्राम्य विकास मंत्री ने गांव के लोगों से अपील की है कि वे पुराने कुओं को बंद नहीं करें बल्कि उनका संरक्षण कर उपयोग में लायें क्योंकि इसी के जरिए भूजल रीचार्ज होता है । उन्होंने कहा कि भविष्य के आसन्न जल संकट को देखते हुए ग्राम्य विकास विभाग के अधीन जो भी भवन बनेंगे, उनमें वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली का प्रावधान अनिवार्य रुप से किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
महेन्द्र सिंह ने कहा कि संचालित पेयजल परियोजनाओं तथा भविष्य में निर्मित होने वाली योजनाओं का संरक्षण जरूरी है। बिना जनता की भागीदारी के ये योजनाएं सफल नहीं हो सकतीं इसलिए जनता को बूंद-बूंद जल के संरक्षण तथा योजनाओं को अपनी योजना समझकर इसकी देख-रेख करने के लिए जागरुकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में नलकूपों को सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। पेयजल आपूर्ति संबंधी परियोजनाओं के रखरखाव, आपरेटर के वेतन आदि के लिए यूजर चार्जेज भी लगाया जाएगा।
प्रमुख सचिव (ग्राम्य विकास) अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में 4500 से अधिक पेयजल योजनाएं संचालित हो रही हैं। इनके रखरखाव तथा अनुरक्षण के लिए जनता को यूजर चार्जेज देना चाहिए, जिससे इस योजनाओं का क्रियान्वयन सफलतापूर्वक किया जा सके। ग्राम्य विकाय आयुक्त एन पी सिंह का कहना है कि पेयजल योजनाओं के क्रियान्वयन और अनुरक्षण में लाभार्थियों की वित्तीय सहभागिता सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि स्थानीय समुदाय को आभास हो कि ये परियोजनाएं उनकी अपनी हैं तभी यह नीति सफल होगी ।