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दिल्ली में यशवंत सिन्हा हुए गिरफ्तार, प्रवासी मजदूर के समर्थन में राजघाट पर दे रहे थे धरना

By अनुराग आनंद | Updated: May 18, 2020 20:44 IST

पूर्व भाजपा नेता और नरेंद्र मोदी सरकार के घोर आलोचक यशवंत सिन्हा ने कहा कि असैन्य प्राधिकार सड़कों पर पैदल चलने को बाध्य हुए प्रवासी मजदूरों की मदद करने में नाकाम रहे हैं।

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ठळक मुद्देयशवंत सिन्हा ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वह धरने पर बैठे रहेंगे।यशवंत सिन्हा प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने में मदद के लिए राजघाट पर धरने पर बैठे थे।

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। राजघाट पर प्रवासी मजदूरों के समर्थन में दे रहे थे धरना। बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने में मदद के लिए सशस्त्र बलों को तैनात करने की मांग करते हुए सोमवार को राजघाट पर धरने पर बैठ गये थे। 

पूर्व भाजपा नेता और नरेंद्र मोदी सरकार के घोर आलोचक यशवंत सिन्हा ने कहा कि असैन्य प्राधिकार सड़कों पर पैदल चलने को बाध्य हुए प्रवासी मजदूरों की मदद करने में नाकाम रहे हैं, फिर चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें। 

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी साधारण सी मांग है कि सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बलों को जिम्मेदारी दी जाए कि वे अपने पास मौजूद सभी संसाधनों का उपयोग करके इन प्रवासी श्रमिकों को सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाएं।’’ सिन्हा ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वह धरने पर बैठे रहेंगे।

इसके अलावा, बता दें कि आज एक खबर सामने आई है कि गुरुग्राम की राजी देवी की आंखें आंसुओं से लबालब हैं और प्रवासी श्रमिकों को लेकर उत्तरप्रदेश जाने वाली बस को देख वह अपने बेटे से रोते हुए कहती हैं कि उन्हें बस अब घर लौटना। वह अब कभी भी इतने बड़े शहर में दोबारा नहीं आना चाहती। राजी देवी और निर्माण कंपनी में मजदूर उनके बेटे साहब लाल व परिवार के अन्य सदस्यों को बस में सीट नहीं मिल सकी। सभी परिजन भदोही स्थित गांव लौटना चाहते हैं।

दरअसल, बसों में सीटों का आवंटन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया गया और परिवार इस आधार पर सीट पाने में विफल रहा। बुजुर्ग महिला की उम्र करीब 70 वर्ष है, जो अपने बेटे का हाथ पकड़े हुए है और उससे कहती है कि वह अब नहीं लौटेगी और भले ही वह उसके अंतिम संस्कार के लिए नहीं आए। परिवार में राजी देवी, साहब लाल, उसकी पत्नी और दो बच्चे, उसका भतीजा और उसकी पत्नी शामिल हैं।

परिवार के सभी सदस्य उन सैकड़ों लोगों में शामिल हैं जो गुरुग्राम के सेक्टर नौ के सामुदायिक केंद्र में इंतजार कर रहे हैं। यहां से बसें फंसे श्रमिकों को लेकर उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर तक लेकर जा रही है। राजो देवी ने कहा कि वह पहली बार अपने गांव से बाहर आई है और यह अंतिम बार है। बड़े शहरों की चमक-दमक खत्म हो गई। बस खुलते ही उन्होंने अपने बेटे से अपनी स्थानीय भाषा में कहा, ‘‘बेटुआ अब हम कभी नहीं आईं, तू बेशक हमका कांधा देन भी मत आइये।

हमका नहीं देखना शहर।’’ लाल ने कहा कि परिवार करीब 850 किलोमीटर दूर भदोही के दारा पट्टी गांव तक पैदल ही चला जाता लेकिन राजी देवी यात्रा के बाद जिंदा नहीं रह पाएगी। लाल ने कहा, ‘‘भगवान जाने अब हम कैसे घर जाएंगे...हमने पैदल जाने का प्रयास नहीं किया क्योंकि मेरी मां इतनी लंबी दूरी तक नहीं चल पाएंगी। उन्हें ज्यादा आराम देने के लिए कुछ महीने पहले मैं यहां लाया।’’ 

टॅग्स :यशवंत सिन्हाकोरोना वायरसकोरोना वायरस लॉकडाउनइंडिया
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