WPI Inflation: तीन साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई, मई में WPI -3.48% रही

By अंजली चौहान | Published: June 14, 2023 02:42 PM2023-06-14T14:42:19+5:302023-06-14T14:44:48+5:30

भारत में मई महीने में थोक महंगाई में गिरावट दर्ज की गई जिसके तहत थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई मई में घटकर शून्य से 3.48 प्रतिशत नीचे चली गई है।

WPI Inflation Wholesale inflation reached the lowest level in three years WPI stood at -3.48% in May | WPI Inflation: तीन साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंची थोक महंगाई, मई में WPI -3.48% रही

फाइल फोटो

Highlights भारत में मई महीने में थोक महंगाई में गिरावट दर्ज की गई तीन सालों में सबसे नीचे स्तर पर आई तोक महंगाई दर मई में -3.48 प्रतिशत नीचे गई

नई दिल्ली: थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर भारत में थोक मुद्रास्फीति मई में सबसे निचले स्तर पर रही। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मई में यह तीन साल के निचले स्तर माइनस 3.48 फीसदी पर आ गया।

वहीं, पिछले महीने माइनस 0.92 फीसदी था। थोक मुद्रास्फीति में कमी के लिए मुख्य रूप से अनाज, गेहूं, सब्जियां, आलू, फल, अंडे, मांस और मछली, तिलहन, खनिज, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, और इस्पात जिम्मेदार है। 

दरअसल, सरकार हर महीने की 14 तारीख को मासिक आधार पर थोक कीमतों के सूचकांक जारी करती है। सूचकांक संख्या को देश भर में संस्थागत स्रोतों और चयनित विनिर्माण इकाइयों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किया जाता है। 

गौरतलब है कि सबसे पहले जुलाई 2020 में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई थी। इसके बाद से ही थोक महंगाई दर में कमी देखी जा रही है। मार्च में यह फरवरी के 3.85 प्रतिशत के मुकाबले 1.34 प्रतिशत पर थी।

अक्टूबर में कुल मिलाकर थोक महंगाई दर 8.39 फीसदी थी और तब से इसमें गिरावट आई है। विशेष रूप से, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति सितंबर तक लगातार 18 महीनों के लिए दोहरे अंकों में रही थी।

इस बीच, भारत में खुदरा मुद्रास्फीति मई में तेजी से घटकर 4.25 प्रतिशत हो गई, जो दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। अप्रैल में यह 4.7 फीसदी और पिछले महीने 5.7 फीसदी थी।

भारत में खुदरा मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई जो अब दो साल के निचले स्तर पर है। जो कि खाद्य और मूल मुद्रास्फीति में कमी से प्रेरित है। 

जानकारी के अनुसार, देश में इस गिरावट के पीछे आरबीआई की मौद्रिक नीति को बताया जा रहा है। भारत की खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों के लिए आरबीआई के 6 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर थी और नवंबर 2022 में ही आरबीआई के आराम क्षेत्र में वापस आने में कामयाब रही थी।

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने पिछले सप्ताह सर्वसम्मति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया। रेपो दर वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई अन्य बैंकों को उधार देता है।

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