विश्व दिव्यांग दिवस का नामकरण विशेष क्षमतावान दिवस होना चाहिये: उपराष्ट्रपति नायडू

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 3, 2019 05:56 PM2019-12-03T17:56:03+5:302019-12-03T17:56:03+5:30

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम समावेशी समाज के निर्माण के लिये प्रतिबद्ध हैं, एक ऐसा समाज जो सर्वाधिक संवेदनशील वर्ग के प्रति सम्मान और संवेदना रखने वाला हो, हम सबकी यह जिम्मेदारी है।’’

World Divyang Day should be named as a special day of competence: Vice President Naidu | विश्व दिव्यांग दिवस का नामकरण विशेष क्षमतावान दिवस होना चाहिये: उपराष्ट्रपति नायडू

2011 की जनगणना के मुताबिक देश में दिव्यांगजनों की संख्या 2.68 करोड़ (2.21 प्रतिशत) थी।

Highlightsविश्व दिव्यांग दिवस का नाम ‘अंतरराष्ट्रीय विशेष क्षमता युक्त व्यक्ति दिवस’ किया जाना चाहिये। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम समावेशी समाज के निर्माण के लिये प्रतिबद्ध हैं

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने दिव्यांग जनों की विशिष्ट प्रतिभा और क्षमताओं का जिक्र करते हुये कहा कि विश्व दिव्यांग दिवस का नाम ‘अंतरराष्ट्रीय विशेष क्षमता युक्त व्यक्ति दिवस’ किया जाना चाहिये। नायडू ने मंगलवार को विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर कहा कि समाज में दिव्यांगजनों के उल्लेखनीय योगदान से यह साबित हुआ है कि लक्ष्य की प्राप्ति में कोई बाधा उन्हें नहीं रोक सकती है, इसलिये दिव्यांग जनों की विशिष्ट प्रतिभा को देखते हुये विश्व दिव्यांग दिवस का नाम अंतरराष्ट्रीय विशेष क्षमता युक्त व्यक्ति दिवस किया जाना चाहिये।

दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय काम करने वालों को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित करते हुये नायडू ने कहा, ‘‘हमारे बीच ऐसे कितने ही विशेष प्रतिभा और क्षमता के धनी, मेधावी महिलाएं और पुरुष हैं जिन्होंने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल की है। यदि समुचित परिवेश और अवसर उपलब्ध कराए जाएं तो ये प्रतिभाशाली नागरिक राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान कर सकते हैं।’’

उन्होंने दिव्यांगजनों की विशिष्ट क्षमताओं का जिक्र करते हुये देश दुनिया में दिव्यांगजन दिवस का नाम बदलने के उनके सुझाव पर विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों अपनी विशिष्ट क्षमताओं के बल पर खुद को ‘रोल मॉडल’ तो साबित किया ही है, यह भी सिद्ध किया है कि वह दूसरों से कम नहीं हैं।

नायडू ने इस अवसर पर सम्मानित किये गये पुरस्कार विजेताओं के साहसिक एवं सतत प्रयास की सराहना करते हुये कहा कि भारत में विश्व के सर्वाधिक दिव्यांगजन हैं, इसलिये समावेशी समाज की अवधारणा को व्यवहारिक बनाने की प्रतिबद्धता को देखते हुये सभी की सहभागिता, सम्मान और सहयोग को सुनिश्चित करना होगा जिससे कोई भी व्यक्ति स्वयं को समाज से अलग नहीं समझे।

उन्होंने कहा कि 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में दिव्यांगजनों की संख्या 2.68 करोड़ (2.21 प्रतिशत) थी। नायडू ने इस संख्या में बढ़ोतरी की आशंका व्यक्त करते हुये कहा कि दिव्यांगजनों को सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों के कारण तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम समावेशी समाज के निर्माण के लिये प्रतिबद्ध हैं, एक ऐसा समाज जो सर्वाधिक संवेदनशील वर्ग के प्रति सम्मान और संवेदना रखने वाला हो, हम सबकी यह जिम्मेदारी है।’’ नायडू ने सड़क हादसों सहित अन्य दुर्घटनाओं के कारण दिव्यांगता के बढ़ते खतरे से निपटने के लिये देश में सड़क और कार्यस्थल पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने यह इच्छा जाहिर की कि विशेष रूप से सक्षम लोगों को सिनेमा हॉल, सभागारों, सार्वजनिक स्थानों और अन्य स्थानों पर जाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कॉर्पोरेट तथा निजी क्षेत्रों से इस संबंध में एक भूमिका निभाने का आग्रह भी किया।

Web Title: World Divyang Day should be named as a special day of competence: Vice President Naidu

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