महिला आरक्षण बिल: वोट दर्ज कराने के लिए लोकसभा में नहीं हो सका डिजिटल प्रणाली का उपयोग, मतपत्रों से हुई वोटिंग, जानें वजह
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 21, 2023 07:49 IST2023-09-21T07:43:40+5:302023-09-21T07:49:00+5:30
डिजिटल वोटिंग प्रणाली में सदस्यों को वोट देने के दौरान समर्थन, विरोध या अनुपस्थित रहने के लिए अपने डेस्क पर बटन दबाने की आवश्यकता होती है।

महिला आरक्षण बिल: वोट दर्ज कराने के लिए लोकसभा में नहीं हो सका डिजिटल प्रणाली का उपयोग, मतपत्रों से हुई वोटिंग, जानें वजह
नयी दिल्लीः लोकसभा सचिवालय को बुधवार को महिला आरक्षण विधेयक पर निचले सदन में मत विभाजन के दौरान सदस्यों के वोट दर्ज करने के लिए पर्चियों की पुरानी प्रणाली का उपयोग करना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि मत विभाजन के दौरान वोट दर्ज करने की डिजिटल वोटिंग प्रणाली का उपयोग नहीं किया जा सका क्योंकि कुछ दलों ने अभी तक नए लोकसभा कक्ष के लिए सदस्यों की प्रभाग संख्या (डिविजन नंबर) नहीं भेजी है।
मंगलवार को संसदीय कार्यवाही नए भवन में स्थानांतरित हो गई। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक था, इसलिए यह देखने के लिए विशेष मतदान प्रक्रिया का उपयोग किया गया कि कितने सदस्य इसके पक्ष और कितने इसके विरोध में हैं। साधारण विधेयक आमतौर पर ध्वनिमत से पारित किये जाते हैं। लेकिन संविधान संशोधन से जुड़े विधेयक मत विभाजन के माध्यम से पारित होते हैं।
डिजिटल वोटिंग प्रणाली में सदस्यों को वोट देने के दौरान समर्थन, विरोध या अनुपस्थित रहने के लिए अपने डेस्क पर बटन दबाने की आवश्यकता होती है। यह प्रक्रिया त्वरित है। वहीं, पर्चियों में सदस्य अपना वोट दर्ज करने के लिए पर्ची के हरे या लाल पक्ष पर हस्ताक्षर करते हैं। परिणाम के लिए कार्यालय द्वारा पर्चियों की गिनती की जाती है। महिला आरक्षण विधेयक आज शाम पारित हो गया, जिसमें 454 सदस्यों ने इसका समर्थन किया और दो ने इसका विरोध किया।