"महिला आरक्षण विधेयक कभी वास्तविक शक्ल नहीं ले सकता है क्योंकि यह जुमला है", महुआ मोइत्रा ने संसद में कहा
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: September 20, 2023 06:04 PM2023-09-20T18:04:18+5:302023-09-20T18:08:38+5:30
संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह विधेयक जुमले के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि सच्चाई यह है कि 2029 में यह विधेयक धरातल से बहुत दूर होगा।

फाइल फोटो
नई दिल्ली: संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह विधेयक जुमले के अलावा कुछ नहीं है क्योंकि सच्चाई यह है कि 2029 में यह विधेयक धरातल से बहुत दूर होगा। सासंद मोइत्रा ने कहा कि यह विधेयक कभी वास्तविक शक्ल नहीं ले सकता है क्योंकि ये तभी लागू होगा, जब देश की जनगणना होगी और उसके बाद चुनाव आयोग का परिसीमन होगा।
समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर एक बार फिर तगड़ा प्रहार करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, "यह विधेयक महज एक दिखावा है और कोई ऐतिहासिक बिल नहीं है, जैसा कि इसे बताया जा रहा है। महिला आरक्षण के सवाल पर सरकार को कार्रवाई की जरूरत है, न कि विधायी रूप से इसे बनाकर लागू करने में देरी की जाए।''
तृणमूल सांसद ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व और शर्म दोनों की बात है कि मैं यहां भारत की संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर बोल रही हूं। यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मैं अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस से हूं, जिसके कुल संसद सदस्यों में से 37 फीसदी महिलाएं हैं। मुझे दुख है कि मैं एक ऐसी लोकसभा से हूं, जो पुरुषों का सदन है। जिसमें कुल मिलाकर महज 15 फीसदी सदस्य महिलाएं हैं, जबकि वैश्विक औसत की बात करें तो यह औसत 26.5 फीसदी से काफी कम है और एशियाई क्षेत्रीय औसत 21 फीसदी से भी नीचे है।''
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के घेरते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, “पीएम मोदी ने कल भव्य रूप से घोषणा की है कि उन्हें देश के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए नियुक्त किया गया है और फिर बहुत धूमधाम के साथ सरकार ने हमेशा की तरह एक अभूतपूर्व कदम का श्रेय लेने का दावा करते हुए इस विधेयक को पेश किया है। लेकिन रुकिए, यह बिल वास्तव में क्या कहता है? परिसीमन होने के बाद ही आरक्षण लागू होगा और अगली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित होने के बाद ही परिसीमन किया जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा, "सही मायने में बीजेपी की दोहरी नीति के तहत यह सब होता है। सच तो यह है कि हम नहीं जानते हैं कि वास्तव में कब वास्तव में 33 फीसदी महिलाएं लोकसभा में बैठेंगी क्योंकि नंबर एक बात यह है कि अगली जनगणना की तारीख पूरी तरह से अनिश्चित है। इसलिए परिसीमन तो और भी अनिश्चित है। क्या इससे बड़ा कोई जुमला हो सकता है? 2024 को भूल जाइए, 2029 में यह संभव नहीं हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “भाजपा के सदस्य हमें फोन कर रहे हैं और बिना किसी किंतु-परंतु के पूरे दिल से समर्थन मांग रहे हैं। हम उनसे स्पष्ट रूप से कहते हैं कि हम न केवल आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हैं, बल्कि वास्तव में यह ममता बनर्जी हैं, जो आज की तारीख में भारत की एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं, वह इस विधेयक की जननी हैं। उन्होंने उस मूल विचार को जन्म दिया है, जहां उन्होंने बिना शर्त 37 फीसदी महिलाओं को इस संसद में भेजा है। आज आप जो लाए हैं वह महिला आरक्षण विधेयक नहीं बल्कि महिला आरक्षण पुनर्निर्धारण विधेयक है और इसका नाम बदला जाना चाहिए। इसका एजेंडा देरी है, इसका एजेंडा आरक्षण नहीं है। अगली जनगणना कब होगी, परिसीमन कब होगा। आरक्षण में एक बार फिर अनिश्चित काल की देरी होगी।”