कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को मजबूत करने के वास्ते महिलाएं, पुरुष एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं: महिला किसान

By भाषा | Published: July 26, 2021 06:56 PM2021-07-26T18:56:06+5:302021-07-26T18:56:06+5:30

Women, men working together to strengthen agitation against agricultural laws: Women farmers | कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को मजबूत करने के वास्ते महिलाएं, पुरुष एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं: महिला किसान

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को मजबूत करने के वास्ते महिलाएं, पुरुष एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं: महिला किसान

नयी दिल्ली, 26 जुलाई महिला किसानों ने सोमवार को यहां कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन को और मजबूत करने के लिए खेतों, घरों और विरोध स्थलों पर जिम्मेदारियों को साझा करने के लिए पुरुषों और महिलाओं ने हाथ मिला लिया है।

महिलाएं किसान संसद के लिए इकट्ठा हुई और उन्होंने आवश्यक सेवा वस्तु संशोधन अधिनियम को निरस्त करने की मांग की, और कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर कई स्थानों पर सात महीने से जारी आंदोलन को मजबूत बनाये रखने के लिए पुरुष और महिलाएं-चाहे पति हों या पत्नी हों, पिता या बेटियां पूरे समन्वय के साथ काम कर रहे हैं।

विभिन्न राज्यों से दिल्ली आई महिला किसानों ने कहा कि चाहे वह बच्चों को खिलाने के लिए घर पर खाना बनाना हो, धूप में खेतों की जुताई करना हो या महीनों तक लगातार विरोध करना हो, पुरुष और महिला दोनों किसानों ने पिछले साल नवंबर से यह सब करने के लिए स्त्री और पुरुष कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं ।

गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं गाजीपुर, सिंघू और टीकरी पर आंदोलन कर रहे हैं।

पंजाब के तरनतारन जिले की कुलविंदर कौर ने जंतर-मंतर पर किसान संसद में कहा, ‘‘महिलाएं पुरुषों का काम कर रही हैं और पुरुष वो काम कर रहे हैं जो महिलाएं करती थीं। तो अंतर क्या है ?’’ कौर ने कहा, ‘‘महिलाएं अब पहले जैसी नहीं रहीं। कल्पना चावला अंतरिक्ष में गईं, हम दिल्ली आए हैं। अगर महिलाएं प्रधानमंत्री बन सकती हैं तो हम अपनी लड़ाई खुद क्यों नहीं लड़ सकते।’’

कौर ने कहा कि वह अपने क्षेत्र की कई अन्य महिलाओं के साथ पिछले सात महीनों से सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन कर रही हैं, जबकि उनके पति, भाई और देवर घर और खेतों की देखभाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इतने महीनों से तरनतारन की कई अन्य महिलाओं के साथ सिंघू में यह दिखाने के लिए गयी हूं कि यह केवल पुरुषों का आंदोलन नहीं है। किसान सिर्फ पुरुष नहीं हैं। महिलाएं भी खेतों में काम करती है..हम भी हैं किसान हैं।’’

किसान संसद में हर दिन 200 किसान भाग ले रहे हैं और अपनी मांगों पर सरकार के साथ-साथ विपक्ष का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रहे है।

हरिंदर बिंदू के अनुसार, इस यात्रा को शुरू करने के दौरान, किसानों को पता था कि उनका संघर्ष लंबा होने वाला है। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल दिसंबर में विरोध की शुरुआत में... जब अधिकांश घरों के पुरुषों को विरोध स्थलों पर जाना पड़ा, महिलाओं ने ट्रैक्टर चलाना सीखा ताकि वे खेतों की जुताई कर सकें।’’ उन्होंने कहा कि इसी तरह, जैसे-जैसे विरोध जारी रहा, कई हफ्तों और महीनों के दौरान कई घरों की महिलाएं दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए थीं।

हरियाणा के हिसार की रहने वाली किसान नेता किरण मलिक ने कहा, ‘‘अब सब कुछ इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि यह किसी न किसी तरह से आंदोलन में मदद करे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज हर एक किसान का उद्देश्य इस आंदोलन को बढ़ावा देना है, और हमारे सभी कार्य उसी एक उद्देश्य की ओर निर्देशित हैं, और हमारे क्षेत्र के पड़ोसी सभी एक दूसरे का व्यापक रूप से सहयोग और मदद कर रहे हैं।

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Web Title: Women, men working together to strengthen agitation against agricultural laws: Women farmers

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