मुस्लिम व्यक्ति का वीडिया साझा करने के लिए पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी वापस ली जाए : एडिटर्स गिल्ड

By भाषा | Published: June 17, 2021 05:10 PM2021-06-17T17:10:22+5:302021-06-17T17:10:22+5:30

Withdraw FIR against journalists for sharing video of Muslim man: Editors Guild | मुस्लिम व्यक्ति का वीडिया साझा करने के लिए पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी वापस ली जाए : एडिटर्स गिल्ड

मुस्लिम व्यक्ति का वीडिया साझा करने के लिए पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी वापस ली जाए : एडिटर्स गिल्ड

नयी दिल्ली, 17 जून एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने बृहस्पतिवार को मांग की कि सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग मुसलमान व्यक्ति की वीडियो पोस्ट करने के लिए एक समाचार पोर्टल तथा कुछ पत्रकारों के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी फौरन वापस ली जाए।

उसने कहा कि स्वतंत्र मीडिया को प्रताड़ित करने के लिए रिपोर्टिंग और असहमति का अपराधीकरण करने के वास्ते ‘‘कानून का यह अनियंत्रित इस्तेमाल’’ निंदनीय है।

ईजीआई ने एक बयान में कहा, ‘‘ईजीआई द वायर और कई पत्रकारों के पांच जून को गाजियाबाद में एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमले पर किए उनके ट्वीट के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने की निंदा करता है।’’ उसने मांग की कि प्राथमिकी फौरन वापस ली जाए।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने टि्वटर इंक, टि्वटर कम्यूनिकेशन इंडिया, न्यूज मंच ‘द वायर’, पत्रकार मोहम्मद जुबेर, राणा अयूब, लेखिका सबा नकवी के अलावा कांग्रेस नेता सलमान निजामी, मश्कूर उस्मानी और शमा मोहम्मद के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।

गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर साझा वीडियो में बुजुर्ग मुसलमान ने गाजियाबाद के लोनी इलाके में चार लोगों पर उन्हें मारने, उनकी दाढ़ी काटने और उन्हें ‘‘जय श्री राम’’ बोलने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया है।

गिल्ड ने कहा, ‘‘पुलिस द्वारा आरोपित लोगों के अलावा कई मीडिया संगठनों और पत्रकारों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर इस वीडियो को पोस्ट किया।’’ उसने कहा कि इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने घटना को ‘‘एक अलग रूप’’ देते हुए दावा किया कि यह हमला ‘ताबीज’ से जुड़े एक विवाद का नतीजा था जो बुजुर्ग व्यक्ति ने कुछ लोगों को बेचा था। इस बात का उल्लेख भी इन मीडिया संगठनों और पत्रकारों ने किया।

ईजीआई ने कहा, ‘‘गिल्ड पत्रकारों को बदले की कार्रवाई के डर के बिना गंभीर घटनाओं की रिपोर्टिंग करने से रोकने के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के उत्तर प्रदेश पुलिस के पिछले रिकॉर्ड से बहुत चिंतित है।’’

गिल्ड ने कहा कि यह पत्रकारों का कर्तव्य है कि वह सूत्रों के आधार पर रिपोर्ट करें और अगर बाद में तथ्य विवादित पाए जाते हैं तो उनकी भी जानकारी दें। उसने कहा कि पुलिस के लिए पत्रकारों के पेशेवर कृत्यों में हस्तक्षेप करने और उनके काम को अपराध के दायरे में लाना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।

ईजीआई ने कहा, ‘‘साथ ही यह भी देखा गया है कि पुलिस का रवैया उन मीडिया संगठनों और पत्रकारों को निशाना बनाने में भेदभावपूर्ण रहा है जो सरकार तथा उसकी नीतियों के आलोचक रहे हैं जबकि हजारों लोगों ने वीडियो ट्वीट की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Withdraw FIR against journalists for sharing video of Muslim man: Editors Guild

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे