नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है। मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय में नो कॉन्फिडेंस मोशन का प्रस्ताव कांग्रेस और बीआरएस दोनों पार्टियों की तरफ से लाया गया है। आंकड़ों के हिसाब से मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है। ये बात विपक्ष भी जानता है। इसके बाद भी विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों लाया है इसका जवाब कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने दिया।
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, "यह कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव नहीं बल्कि I.N.D.I.A के घटक दलों द्वारा सामूहिक तौर पर लाया गया है। पिछले 83-84 दिनों से मणिपुर में जो स्थिति बनी हुई है उस पर क़ानून-व्यवस्था चरमरा गई है, समुदाय के बीच विभाजन हो गया है। वहां सरकार नाम की चीज़ नहीं रह गई है। इन तथ्यों ने हमें अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए मजबूर किया है।"
मनीष तिवारी ने आगे कहा, " I.N.D.I.A के घटक दलों की सामूहिक मांग है कि सभी काम को एक तरफ रखते हुए कल ही इस प्रस्ताव के ऊपर, प्राथमिकता रखते हुए पर इस चर्चा होनी चाहिए। सवाल संख्या का नहीं बल्कि नैतिकता का है। बुनियादी सवाल यह है कि जवाबदारी किस की है। सदन में जब इस पर मतदान होगा तब नैतिकता की कसौटी पर कौन कहां खड़ा है। सवाल राष्ट्र की सुरक्षा का है।"
बता दें कि संसद में लोकसभा की 543 सीटों में फिलहाल 6 खाली हैं। मौजूदा समय में लोकसभा सांसदों की संख्या 537 है। यानी सरकार को सुरक्षित रहने के लिए केवल 269 सांसदों के वोट की जरूरत है। बीजेपी के पास खुद से 301 सांसद हैं। अगर सहयोगियों को जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 333 तक पहुंच जाता है। इसके अलावा वाईएसआरसीपी के 22 सांसद भी अविश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी के साथ हैं। यानी कि सरकार पूरी तरह सुरक्षित है।
दरअसल विपक्ष की रणनीति किसी भी तरह पीएम मोदी को संसद में आने के लिए मजबूर करना है। इस बारे में सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, "मणिपुर जल रहा है जिसका असर मिज़ोरम और अन्य राज्यों पर पड़ रहा है। जब इतने बड़े मु्द्दे को भी सरकार हल्के में लेगी और बहुमत के नाम पर विपक्ष की मांग को बुलडोज़ करेगी, प्रधानमंत्री बात करने को तैयार नहीं है तो ऐसे में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है।"