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जानें कौन हैं वरिष्ठ वकील राजीव धवन, जिन्होंने CJI के सामने फाड़ा राम मंदिर का 'नक्शा'

By स्वाति सिंह | Updated: October 16, 2019 15:48 IST

सुप्रीम कोर्ट में चल रही दलीलों के बीच हिन्दू महासभा के वकील ने एक नक्शा दिखाया और दावा किया कि नक्शे में भगवान राम के जन्म स्थान की पूरी जानकारी है। जिसके विरोध में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने एक नक्शा फाड़ दिया। यहां जानें कौन है राजीव धवन

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ठळक मुद्देसुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने एक नक्शा फाड़ा हैराजीव धवन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं।

अयोध्या राम मंदिर मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने एक नक्शा फाड़ा है, जिसके बाद वह खूब चर्चा में आगए हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में चल रही दलीलों के बीच हिन्दू महासभा के वकील ने एक नक्शा दिखाया और दावा किया कि नक्शे में भगवान राम के जन्म स्थान की पूरी जानकारी है। जिसके विरोध में मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने एक नक्शा फाड़ दिया।

हालांकि, उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा कि कोर्ट में पेज फाड़ने की घटना वायरल हो रही है जबकि सच्चाई ये है कि मैं पेज को फेकना चाहता था और सीजेआई ने कहा कि मैं इसे फाड़ सकता हूं। और मैंने उसे फाड़ दिया। इसलिए कह सकता हूं कि यह मैंने कोर्ट की अनुमति से किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीजेआई ने भी स्वीकार किया कि हां उन्होंने ये शब्द कहे थे।

कौन हैं राजीव धवन

राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और मानव अधिकार कार्यकर्ता हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दी गई वरिष्ठ वकीलों की लिस्ट में राजीव धवन का 130वां स्थान है। अगस्त  1946 में जन्मे धवन भारतीय कानूनी दायरे में एक जानी-मानी हस्ती माने जाते हैं। इलाहाबाद हाई स्कूल से और शेरवुड स्कूल नैनीताल से अपनी स्कूली शिक्षा ग्रहण की है जबकि इसके आगे की पढ़ाई उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कैंब्रिज विश्वविद्यालय और लंदन विश्वविद्यालय से प्राप्त की है।

साल 1992 उन्होंने प्रभावी ढंग से सुप्रीम कोर्ट में अभ्यास शुरू किया। साल 1992 मंडल और फिर 1994 में बाबरी मस्जिद मामलों में दलीलों के बाद से उन्हें 1995 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया।

अयोध्या विवाद मामले में राजीव धवन मुस्लिम पक्ष के मुख्य वकील हैं साथ ही वह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसे 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के तहत विवादित भूमि का एक तिहाई हिस्सा मिला था।

मीडिया रिपोर्ट्स कि मानें तो थ कहा गया है कि धवन सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न न्यायाधीशों के साथ झगड़े के लिए भी जाने जाते थे। साल 2013 में हाई-प्रोफाइल 2जी घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी ने जब एक मामले की सुनवाई से इनकार कर दिया था तब धवन उनपर भड़क गए थे।

इसके अलावा उन्होंने साल 2014 में कथिततौर पर न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और जेएस खेहर की खंडपीठ के साथ भी झगड़ा किया था, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें आचरण के खिलाफ कड़ी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था।

 

टॅग्स :राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामलाअयोध्या विवादबाबरी मस्जिद विवादसुप्रीम कोर्ट
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