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पश्चिम बंगालः विश्व भारती कैंपस में होगी CISF जवानों की स्थायी तैनाती, यूनिवर्सिटी अपने अनुदान से उठाएगी खर्च!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 7, 2019 08:10 IST

वर्तमान में देश में किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्थायी तौर पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती नहीं हुई है। यहां तक की स्थायी रूप से कहीं पुलिस भी नहीं लगाई गई है।

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ठळक मुद्दे2017 में भी ऐसी ही एक मांग बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ने की थी।प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के पदेन कुलपति और राष्ट्रपति इसके विजिटर हैं।

पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन स्थित विश्व भारती यूनिवर्सिटी में स्थायी रूप से अर्धसैनिक बलों की तैनाती हो सकती है।  मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) से यूनिवर्सिटी में जवानों की तैनाती के लिए सिफारिश की है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक एचआरडी मंत्रालय ने सीआईएसएफ के महानिदेशक राजेश रंजन को पिछले महीने के चिट्ठी लिखी है। इसमें सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सैनिकों की तैनाती का खर्च विश्वविद्यालय प्रशासन उस ग्रांट से उठाएगा जो उसे केंद्र सरकार से मिलती है। 

यह पहली बार हो रहा है कि केंद्र सरकार किसी शैक्षणिक संस्थान में अर्धसैनिक बलों की तैनाती की सिफारिश कर रही है। वर्तमान में देश में किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्थायी तौर पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती नहीं हुई है। यहां तक की स्थायी रूप से कहीं पुलिस भी नहीं लगाई गई है।

विश्व भारती यूनिवर्सिटी के वाइस चॉन्सलर बिद्युत चक्रबर्ती और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसके लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री को पत्र लिखा था। इस निवेदन की एक कॉपी प्रधानमंत्री कार्यालय को भी भेजी गई थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चक्रबर्ती ने लिखा कि वर्तमान समय में जो सिक्योरिटी गार्ड लगाए गए हैं वो टीएमसी की तरफ झुकाव रखते हैं इसलिए विश्व भारती के सिक्योरिटी ऑफिसर के आदेशों की अवहेलना करते हैं। उन्होंने यह भी लिखा कि जब भी गड़बड़ी के लिए गार्ड को निकाला जाता है तो टीएमसी कार्यकर्ता बचाव करने आ जाते हैं।

चक्रबर्ती ने अपने खत में लिखा, 'इस स्थिति में आपसे निवेदन है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने के लिए कैंपस में सीआईएसएफ की तैनाती की जाए। देश की प्रति उनकी निःस्वार्थ सेवा भाव से विश्व भारती कैंपस में शांति और स्थिरता वापस लाने में मदद मिलेगी।'

2017 में भी ऐसी ही एक मांग बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी ने की थी। यह अभी भी विचाराधीन है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री इस विश्वविद्यालय के पदेन कुलपति और राष्ट्रपति इसके विजिटर हैं।

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