जेल में बंद लोगों के बच्चों के लिए कल्याणकारी योजना असंतोषजनक, पहुंच से बाहर : डीसीपीसीआर
By भाषा | Published: November 19, 2020 06:58 PM2020-11-19T18:58:29+5:302020-11-19T18:58:29+5:30
नयी दिल्ली, 19 नवंबर दिल्ली बाल संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने सिफारिश की है कि जेल में बंद लोगों के बच्चों के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजना में बदलाव किए जाएं। आयोग का दावा है कि यह योजना असंतोषजनक और पहुंच से बाहर है।
आयोग ने विभिन्न पक्षकारों के साथ 2014 की, बंदी माता-पिता के बच्चों के लिए वित्तीय पोषण, शिक्षा एवं कल्याण योजना के तहत ऐसे बच्चों के लिए उपलब्ध संस्थागत सुरक्षा उपायों की समीक्षा की जिसके बाद सरकार को सिफारिश की गई।
सरकार को जमा की गई विस्तृत रिपोर्ट में डीसीपीसीआर ने पाया कि योजना का स्वरूप और कार्यान्वयन "असंतोषजनक, पहुंच से बाहर एवं उदासीन है।"
डीसीपीसीआर ने जोर दिया कि योजना में बदलाव किया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि जेल में बंद लोगों के बच्चे परेशान न हों और सामाजिक, भावनात्मक और शैक्षणिक तौर पर उनका पालन-पोषण हो।
आयोग की सिफारिश में कहा गया है कि मौजूदा पात्रता मापदंड के तहत अगर माता और पिता, दोनों ही जेल में बंद हैं या अगर जीवित माता या पिता जेल में हैं तो योजना के तहत आवेदन किया जा सकता है। एकल अभिभावक के बच्चे भी समान रुप से संवेदनशील हैं। लिहाजा, जिन बच्चों के सिर्फ माता या पिता या दोनों माता-पिता जेल में बंद हैं, उन्हें योजना के तहत आर्थिक सहायता प्राप्त करने का पात्र बनाया जाना चाहिए।
सिफारिश में कहा गया है कि दिल्ली में पांच साल से रहने का मापदंड हटाया जाना चाहिए और अगर गिरफ्तारी के समय माता-पिता दिल्ली में रहते हैं तो उनके बच्चे को योजना के तहत पात्र बनाया जाना चाहिए। साथ में दो लाख रुपये आय सीमा को हटाना चाहिए।
डीसीपीसीआर ने कहा कि पहले बच्चे को 4000 रुपये प्रति माह आर्थिक सहायता देनी चाहिए और बाद के हर बच्चे को 3500 रुपये प्रति माह की मदद देनी चाहिए।
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