मन की बात में पीएम मोदी बोले, दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल नहीं सीख पाने का मुझे मलाल है

By अनुराग आनंद | Published: February 28, 2021 11:52 AM2021-02-28T11:52:57+5:302021-02-28T14:46:35+5:30

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जल संरक्षण सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे देश के नागरिकों को समझना होगा।

PM narendra Modi in mann ki baat Water is not only life, but also the stream of faith and development | मन की बात में पीएम मोदी बोले, दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल नहीं सीख पाने का मुझे मलाल है

पीएम नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

Highlightsपीएम नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से 100 दिन का कोई अभियान शुरू करने का आह्वान किया।पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान- ‘कैच द रैन’ भी शुरू किया जा रहा है।

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के 74वें एपिसोड के जरिए देशवासियों को संबोधित किया।

इस दौरान पीएम मोदी ने अपनी एक कमी का जिक्र किया और बताया कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल नहीं सीख पाने का उनको मलाल है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है।

पीएम मोदी ने इसके साथ ही जल को जीवन के साथ ही आस्था का प्रतीक और विकास की धारा करार देते हुए रविवार को देशवासियों से इसका संरक्षण करने का आह्वान किया।

आकाशवाणी के ‘‘मन की बात’’ कार्यक्रम की 74वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार इस साल ‘‘विश्व जल दिवस’’ से 100 दिनों का अभियान भी शुरू करेगी।

हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है: पीएम नरेंद्र मोदी

मोदी ने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है और नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है इसलिए इसका विस्तार देश में और ज्यादा मिलता है।

जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है: पीएम नरेंद्र मोदी

पीएम मोदी ने कहा, “भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।”

'पानी का स्पर्श जीवन और विकास के लिये जरुरी है'

पानी को पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन और विकास के लिये जरुरी है। उन्होंने कहा, ‘‘पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए।’’

जल संरक्षण सामूहिक जिम्मेदारी है: पीएम नरेंद्र मोदी

आगामी 22 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व जल दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे देश के नागरिकों को समझना होगा। उन्होंने अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये और वर्षा जल के संचयन के लिये देशवासियों से 100 दिन का कोई अभियान शुरू करने का आह्वान किया।

‘कैच द् रैन’ अभियान शुरू किया जा रहा है

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान- ‘कैच द् रैन’ भी शुरू किया जा रहा है। इस अभियान का मूल मन्त्र है पानी जब भी और जहां भी गिरे उसे बचाएं।’’ उन्होंने कहा, “हम अभी से जुटेंगे और पहले से तैयार जल संचयन के तंत्र को दुरुस्त करवा लेंगे तथा गांवों में, तालाबों में, पोखरों की सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे पानी के रास्ते की रुकावटें दूर कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे।”

प्रधानमंत्री ने संत रविदास जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी

प्रधानमंत्री ने संत रविदास जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी और कहा कि आज भी उनके ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है। उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरूर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए।

(एजेंसी इनपुट)

Web Title: PM narendra Modi in mann ki baat Water is not only life, but also the stream of faith and development

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