महाराष्ट्र के 10 हजार गांवों में जल संकट भूगर्भ जलस्तर बेहद गिरा, जल आपातकाल

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 12, 2019 09:44 AM2019-06-12T09:44:05+5:302019-06-12T10:03:01+5:30

सर्वे के मुताबिक 5640 गांवों में भूजल स्तर 1 से 2 मीटर तक नीचे गया है, जबकि 2556 गांवों में 2 से 3 मीटर नीचे तथा 2170 गांवों में 3 मीटर से अधिक नीचे चला गया है.

Water crisis in ten thousand villages of the state has dropped drastically, water scarcity | महाराष्ट्र के 10 हजार गांवों में जल संकट भूगर्भ जलस्तर बेहद गिरा, जल आपातकाल

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Highlightsराज्य में सूखे का भीषण कहर झेल रहे मराठवाड़ा में 4681 गांवों में जलस्तर बेहद नीचे चला गया है.

भूजल सर्वेक्षण विभाग के सर्वे के मुताबिक अप्रैल माह में राज्य के 10 हजार 366 गांवों में भूगर्भ जलस्तर बेहद कम हो गया है. इनमें से 2100 गांव में बेहद खराब स्थिति है. मानसून की देरी के चलते रोजाना हालात बिगड़ रहे हैं. सर्वे के मुताबिक 5640 गांवों में भूजल स्तर 1 से 2 मीटर तक नीचे गया है, जबकि 2556 गांवों में 2 से 3 मीटर नीचे तथा 2170 गांवों में 3 मीटर से अधिक नीचे चला गया है.

राज्य में सूखे का भीषण कहर झेल रहे मराठवाड़ा में 4681 गांवों में जलस्तर बेहद नीचे चला गया है. इसमें से 1380 गांवों में यह 3 मीटर से भी अधिक नीचे चला गया है, जबकि 2071 गांव में यह 1 से 2 मीटर नीचे चला गया है. मौसम विभाग की मानें तो राज्य में सर्वत्र वर्षा होने में अब भी 10 से 12 दिन का समय है. तब तक जलस्तर और नीचे जा चुका होगा और जलसंकट आपातकाल जैसी स्थिति में चला जाएगा.

राजस्थान के 215 बांध सूखे, पेयजल संकट गहराया

राजस्थान में पड़ रही भीषण गर्मी के कारण तकरीबन सभी शहर और गांवों में पेयजल संकट गहरा गया है. राज्य में 236 ब्लॉकों में से 190 डॉर्कजोन में आ गए हैं, जहां हैंडपंप और कुएं कुछ समय बाद ही सूख जाते हैं. सरकार की जलापूर्ति व्यवस्था भी लड़खड़ा गई है. कई इलाकों में 10-10 दिन में टैंकरों से पानी पहुंचाया जा रहा है.

दरअसल, प्रदेश में पेयजल के स्रोत कहे जाने वाले 284 में से 215 बांध सूख चुके हैं. शेष बचे बांधों में भी बहुत कम पानी बचा है. राजधानी जयपुर सहित अन्य जिलों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध में मात्र एक माह का पानी शेष बचा है. प्रदेश में 22 बड़े बांध हैं, लेकिन किसी में भी 50 फीसदी पानी नहीं है. वहीं 4.25 क्यूसेक क्षमता वाले 262 छोटे बांधों में से अधिकांश सूख चुके हैं और कुछ में औसतन 11 प्रतिशत पानी बचा है.

पश्चिमी राजस्थान बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, जालोर, जैसलमेर और जोधपुर सहित अन्य जिलों में पानी की भारी किल्लत है. राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं और हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं.

इसकी वजह यह कि राज्य सरकार की पेयजल परियोजनाएं भी धीमी गति से चल रही हैं तथा 54 में से 37 बड़ी परियोजनाएं तथा 437 में 119 ग्रामीण परियोजनाएं पूरी नहीं हो पाई हैं. इससे कई शहर और गांवों में पेयजल संकट गहरा रहा है. ऐसे में सभी की निगाहें मानसून पर टिकी हुई हैं.

Web Title: Water crisis in ten thousand villages of the state has dropped drastically, water scarcity

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