Kuno National Park: भारत में पिछले सात दशक से विलुप्त चीतों को पुन: बसाने की योजना ‘‘प्रोजेक्ट चीता’’ के तहत भारतीय वायुसेना के विमान से दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 12 चीतों को शनिवार को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाकर अलग-अलग बाड़ों में छोड़ दिया गया।
इसके साथ ही केएनपी में अब कुल 20 चीते हो गए हैं। भारत में अंतिम चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। भारत में चीतों को फिर से बसाने के उद्देश्य से ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की गई। इसके तहत पहले नामीबिया से और अब दक्षिण अफ्रीका से चीतों को यहां लाया गया है।
इससे पहले, पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएनपी में एक समारोह के दौरान नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले जत्थे को बाड़ों में छोड़ा था। भारतीय वायुसेना का परिवहन विमान चीतों को लेकर सुबह करीब दस बजे ग्वालियर हवाई अड्डे पर पहुंचा। 12 चीतों के इस दूसरे जत्थे में सात नर और पांच मादा चीते शामिल हैं।
इन चीतों ने परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग स्थित ओआर टांबो अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से हजारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए यात्रा शुक्रवार शाम को शुरू की थी। हवाई यात्रा के दौरान प्रत्येक चीते को एक अलग विशेष लकड़ी के बक्से में रखा गया था। ग्वालियर पहुंचने के बाद चीतों को भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर से श्योपुर जिले में स्थित केएनपी ले जाया गया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने केएनपी में इन चीतों को अलग-अलग बाड़ों में छोड़ा। इन चीतों को यहां लाने से पहले दक्षिण अफ्रीका में एक माह तक अलग अलग बाड़ों में रखा गया था।
विशेषज्ञों ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल सितंबर की शुरुआत में केएनपी का दौरा किया था ताकि जमीन पर दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले जानवरों के आवास के लिए वन्यजीव अभयारण्य में व्यवस्था का जायजा लिया जा सके। इन चीतों के स्थानांतरण के लिए पिछले महीने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक करार हुआ था।
दक्षिण अफ्रीका ने भारत को ये चीते दान किए हैं। भारत को प्रत्येक चीता को स्थानांतरित करने से पहले इन्हें वहां पकड़ने के लिए 3,000 डॉलर का भुगतान करना पड़ता है। भारत ने पिछले साल अगस्त में इन दक्षिण अफ्रीकी चीतों को विमान से देश लाने की योजना बनाई थी, लेकिन दोनों देशों के बीच औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी के कारण ऐसा नहीं हो सका।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को केएनपी में छोड़ा था। हालांकि, उस समय दक्षिण अफ्रीकी सरकार से अनुमोदन के अभाव में इन 12 चीतों को केएनपी नहीं लाया जा सका था। चीतों का नया घर कूनो राष्ट्रीय उद्यान विंध्याचल पर्वत के उत्तरी किनारे पर स्थित है और 700 वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैला हुआ है।
दक्षिण अफ्रीका से कूनो राष्ट्रीय उद्यान पहुंचे चीते 2-8 साल की उम्र के
दक्षिण अफ्रीका से शनिवार को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लाए गए 12 चीतों में सबसे बड़ा आठ साल और तीन महीने की आयु का नर है जबकि सबसे छोटा चीता दो साल और चार महीने की मादा है। तीन चीते - जिनमें दो मादा और एक नर है- जून 2020 में पैदा हुए हैं जबकि उम्र में दूसरा सबसे बड़ा चीता सात साल और दो महीने की उम्र का नर है।
‘‘प्रोजेक्ट चीता’’ से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया कि एक दक्षिण अफ्रीकी चीते का औसत जीवनकाल 8 से 10 साल का होता है। दक्षिण अफ्रीका से सात नर और पांच मादा सहित 12 चीतों का यह दूसरा जत्था शनिवार को केएनपी लाया गया है जबकि नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को पिछले साल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां बाड़ों में छोड़ा था।