वर्धा में चल रही है फर्जी डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस, यूजीसी ने जारी किया नोटिस, छात्र-छात्राओं को आगाह, नहीं ले एडमिशन

By फहीम ख़ान | Published: July 19, 2022 10:09 PM2022-07-19T22:09:35+5:302022-07-19T22:10:45+5:30

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मंगलवार को छात्र-छात्राओं को महाराष्ट्र स्थित डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस में दाखिला लेने के प्रति आगाह किया.

Wardha Fake Digital University of Skill Resurgence UGC has issued notice warns students do not admission nagpur | वर्धा में चल रही है फर्जी डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस, यूजीसी ने जारी किया नोटिस, छात्र-छात्राओं को आगाह, नहीं ले एडमिशन

न ही उसे यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 22 के तहत डिग्रियां प्रदान करने के लिए अधिकृत किया गया है.

Highlightsयूजीसी ने संस्थान को गैर मान्यता प्राप्त ‘स्वयंभू विश्वविद्यालय’ करार दिया.कई कोर्सेस/प्रोग्राम संचालित किए जाने की जानकारी दी है.यूजीसी अधिनियम 1956 का घोर उल्लंघन है.

नागपुरः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नोटिस जारी कर वर्धा में एक फर्जी डिजिटल यूनिवर्सिटी चलने की जानकारी उजागर की है. यूजीसी ने संस्थान को गैर मान्यता प्राप्त ‘स्वयंभू विश्वविद्यालय’ करार दिया. जो डिग्री देने के लिए अधिकृत नहीं है.

 

यूजीसी द्वारा 19 जुलाई 2022 को जारी एक पब्लिक नोटिस के अनुसार महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस (अ वर्चुअल मेटा यूनिवर्सिटी)’ द्वारा यूजीसी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए कई कोर्सेस/प्रोग्राम संचालित किए जाने की जानकारी दी है.

यूजीसी के नोटिस के मुताबिक ये ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस’ न तो यूनिवर्सिटी की लिस्ट में शामिल है और न ही इसे यूजीसी नियमों के अनुसार डिग्री देने का अधिकार है. यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा, “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संज्ञान में आया है कि ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस’ (एक ऑनलाइन मेटा विश्वविद्यालय), रिंग रोड, वर्धा (महाराष्ट्र) विभिन्न पाठ्यक्रमों की पेशकश कर रहा है, जो यूजीसी अधिनियम 1956 का घोर उल्लंघन है.”

यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 22 कहती है कि डिग्रियां प्रदान करने या स्वीकृत करने के अधिकार का प्रयोग केवल एक ऐसे विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा, जो किसी केंद्रीय अधिनियम या प्रांतीय अधिनियम या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित है या फिर जिसे धारा 3 के तहत संसद के किसी अधिनियम के अंतर्गत डिग्रियां प्रदान करने के लिए विशिष्ट रूप से अधिकृत किया गया है.

जैन ने कहा, “डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस विश्वविद्यालयों की सूची में न तो धारा (2)1 और न ही धारा 3 के अंतर्गत सूचीबद्ध है, न ही उसे यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा 22 के तहत डिग्रियां प्रदान करने के लिए अधिकृत किया गया है.”

उन्होंने स्पष्ट किया, “केंद्रीय अधिनियम, प्रांतीय अधिनियम या राज्य अधिनियम द्वारा या उसके तहत स्थापित या निगमित विश्वविद्यालय के अलावा कोई भी संस्थान, फिर चाहे वो कॉर्पोरेट निकाय हो या नहीं, किसी भी तरह से अपने नाम में ‘विश्वविद्यालय’ शब्द का इस्तेमाल करने का हकदार नहीं होगा.” 

बड़ा सवाल

- इतने दिनों से एक फर्जी डिजिटल यूनिवर्सिटी चल रही थी और किसी को इसकी भणक तक कैसे नहीं लगी? 

- अब जब यूजीसी ने इस यूनिवर्सिटी पर बैन लगा दिया है तो क्या यहां पर एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को उनकी फीस का पैसा लौटाया जाएगा? 

- इस तरह का फर्जीवाड़ा कर विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन को बर्बाद करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी? 

हिंदी विवि ने भी उठाई आपत्ति 

उल्लेखनीय है कि यूजीसी द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन में इस फर्जी डिजिटल यूनिवर्सिटी का जो पता लिखा गया है उसमें इसे हिंदी विश्वविद्यालय के निकट बताया गया है. इससे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के बारे में गलत फहमी होने का अंदेशा है. इसे दूर करने के लिए हिंदी विश्वविद्यालय के प्रबंधन ने वर्धा के शिक्षा अधिकारी और जिलाधिकारी को पत्र लिखकर इस फर्जी यूनिवर्सिटी को लेकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है. 

कौन है इसके पीछे? 

यह बात अबतक स्पष्ट नहीं हो सकी है कि फर्जी तौर पर चलाई जाने वाली ‘डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ स्किल रिसर्जेंस (अ वर्चुअल मेटा यूनिवर्सिटी)’ के पीछे कौन है. आने वाले समय में इसका खुलासा भी हो जाएगा. लेकिन अभी शिक्षा क्षेत्र में यह चर्चा चल रही है कि इसी विश्वविद्यालय का एक प्रोफेसर इसके पीछे है.

Web Title: Wardha Fake Digital University of Skill Resurgence UGC has issued notice warns students do not admission nagpur

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