पटनाः संसद से पारित हुए वक्फ संशोधित विधेयक-2025 के खिलाफ जदयू के मुस्लिम नेताओं की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए शनिवार को जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सभी बड़े नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी का पक्ष रखा। इस कार्यक्रम में जदयू के कई मुस्लिम नेता शामिल हुए जिनमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी, पार्टी प्रवक्ता अंजुम आरा, कई विधान पार्षद और शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष भी मौजूद रहे। जदयू के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी और प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि वक्फ बिल पर नीतीश कुमार के द्वारा दिए गए पांच सुझावों को मानने के बाद पार्टी ने इसका समर्थन किया। उन्होंने पार्टी में बगावत की अफवाहों का खंडन किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधान पार्षद गुलाम गौस और पूर्व सांसद अहमद अशफाक करीम जैसे नेता भी मौजूद थे।
जिन्होंने पहले वक्फ बिल का विरोध किया था। प्रवक्ता अंजुम आरा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा मुस्लिम समाज के विकास के लिए बड़े कदम उठाए हैं और उनके नेतृत्व में अल्पसंख्यक समाज के हितों से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर पहला सुझाव था कि जमीन राज्य का विषय है, इसलिए राज्य की प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए।
दूसरा सुझाव यह था कि कानून पूर्व प्रभावी न हो। तीसरे सुझाव के अनुसार अगर किसी वक्फ संपत्ति पर धार्मिक स्थल बना है और वह रजिस्टर्ड नहीं है, तो भी उसमें कोई छेड़छाड़ न हो। चौथे सुझाव में कहा गया कि वक्फ विवादों के निपटारे का अधिकार जिला अधिकारी से ऊपर के स्तर के अधिकारी को दिया जाए।
पांचवां सुझाव वक्फ संपत्तियों के डिजिटलीकरण के लिए समय सीमा 6 महीने बढ़ाने का था। वहीं, अशरफ अंसारी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कभी किसी समाज के साथ भेदभाव नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि पार्टी से किसी नेता ने इस्तीफा नहीं दिया है और जदयू में 52 संगठन मजबूती से सक्रिय हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें भरोसा है कि नीतीश कुमार आगे भी समाज के हित में कार्य करते रहेंगे। उन्होंने मुस्लिमों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2005 से अब तक उनके कल्याण के लिए चलाई गई योजनाओं को बताया। लेकिन वक्फ विधेयक के मुद्दे पर जब पत्रकारों ने सवाल करना शुरू किया तो बिना जवाब दिए ही जदयू नेता वहां से निकल गए।