Vinod Kumar Shukla passes away: प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 23, 2025 19:15 IST2025-12-23T19:15:55+5:302025-12-23T19:15:55+5:30

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में एक जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार थे जो बहुत धीमे बोलते थे, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज बहुत दूर तक सुनाई देती थी।

Vinod Kumar Shukla passes away: Renowned writer Vinod Kumar Shukla has passed away | Vinod Kumar Shukla passes away: प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन

Vinod Kumar Shukla passes away: प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन

रायपुर: भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार शाम यहां निधन हो गया। वह 89 वर्ष के थे। उनके पुत्र शाश्वत शुक्ल ने यह जानकारी दी। शाश्वत शुक्ल ने पीटीआई—भाषा को बताया कि सांस लेने में तकलीफ होने के बाद शुक्ल को इस महीने की दो तारीख को रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था। आज शाम 4.48 बजे में उन्होंने अंतिम सांस ली। शुक्ल के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा शाश्वत और एक बेटी है। शाश्वत ने बताया कि शुक्ल के पार्थिव शरीर को पहले उनके निवास स्थान ले जाया जाएगा। 

उनके अंतिम संस्कार के संबंध में जल्द ही जानकारी दी जाएगी। शाश्वत शुक्ल ने बताया कि अक्टूबर माह में सांस लेने में हो रही तकलीफ के बाद शुक्ल को रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तबीयत में सुधार होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी तब से वह घर पर ही इलाज करा रहे थे। एक नवंबर को जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया था तब उन्होंने शुक्ल और उनके के परिवार से बात की थी तथा उनके स्वास्थ्य और कुशलक्षेम के बारे में जानकारी ली थी। 

शाश्वत ने बताया कि दो दिसंबर को अचानक तबीयत अधिक बिगड़ने के बाद उन्हें रायपुर एम्स ले जाया गया जहां उनका इलाज किया जा रहा था। ‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘एक चुप्पी जगह’ जैसे उपन्यासों के रचयिता विनोद कुमार शुक्ल को 59 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 21 नवंबर को शुक्ल को उनके रायपुर स्थित निवास पर आयोजित एक समारोह में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया। 

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में एक जनवरी 1937 को जन्मे विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे रचनाकार थे जो बहुत धीमे बोलते थे, लेकिन साहित्य की दुनिया में उनकी आवाज बहुत दूर तक सुनाई देती थी। उन्होंने मध्यमवर्गीय, साधारण और लगभग अनदेखे रह जाने वाले जीवन को शब्द देते हुए हिंदी में एक बिल्कुल अलग तरह की संवेदनशील और जादुई दुनिया रची है। उनका पहला कविता संग्रह 'लगभग जय हिन्द' 1971 में आया और वहीं से उनकी विशिष्ट भाषिक बनावट, चुप्पी और भीतर तक उतरती कोमल संवेदनाएं हिंदी कविता में दर्ज होने लगीं। 

उनके उपन्यास 'नौकर की कमीज़' (1979) ने हिंदी कथा-साहित्य में एक नया मोड़ दिया, जिस पर मणि कौल ने फिल्म भी बनाई है। शुक्ल को साहित्य अकादमी पुरस्कार, गजानन माधव मुक्तिबोध फेलोशिप, रज़ा पुरस्कार, शिखर सम्मान, राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान, हिंदी गौरव सम्मान और 2023 में पैन-नाबोकोव जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।

Web Title: Vinod Kumar Shukla passes away: Renowned writer Vinod Kumar Shukla has passed away

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे