दिल्ली: घर के दहलीज तक फूड डिलीवरी कराने वाली प्रमुख कंपनी जोमैटो ने खुद पर लगे बाल श्रम कराने के आरोप पर सफाई पशे करते हुए कहा कि फूड डिलीवरी करने वाला बालक 7 साल का न होकर 14 साल का है। जोमैटो पर बाल श्रम का आरोप लगाते हुए राहुल मित्तल नाम के शख्स ने सोशल प्लेटफॉर्म ट्विटर पर जोमैटो डिलीवरी एग्जीक्यूटिव होने का दावा करने वाले एक बच्चे का वीडियो साझा करते हुए दावा किया था कि 7 साल का बच्चा अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए जोमैटो में फूड डिलीवरी एग्जीक्यूटिव के तौर पर कार्य कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक राहुल मित्तल के द्वारा ट्विटर पर इस वीडियो के शेयर करने के बाद उसे 99,000 से अधिक बार देखा गया है और इस मामले में कई यूजर्स ने जोमैटो की कड़ी आलोचन की। जिसके बाद जोमैटो ने इस मामले में सफाई पेश करते हुए कहा कि ट्विटर पर जिस बच्चे का वीडियो शेयर किया गया है, दरअसल वो 7 साल का नहीं बल्कि 14 साल है लेकिन उसके बाद भी जोमैटो बच्चों से इस तरह के श्रम करवाने का प्रबल विरोधी है। इसलिए जोमैटो ने बच्चे के परिवार से संपर्क किया है और उन्हें हर संभव मदद की पेशकश की है।
दरअसल जोमैटो के माथे पर यह बवाल उस वक्त चिपका जब राहुल मित्तल नाम के एक ट्विटर यूजर ने कथिततौर पर 7 साल के उस बच्चे का वीडियो ट्वीट किया। राहुल का कहना है कि उन्होंने बताया कि जोमैटो से खाने का ऑर्डर दिया था, अमूमन उसे उम्मीद थी कि फूड डिलीवरी के लिए कोई वयस्क डिलीवरी मैन आयेगा लेकिन जब उन्होंने घर के दरवाजे पर छोटे बच्चे को देखा तो हैरान रह गए।
राहुल मित्तल ने ट्विटर पर जो वीडियो शेयर किया है, उसमें फूड डिलीवरी करने वाला बच्चा चॉकलेट का पैकेट पकड़े नजर आ रहा है। मित्तल वे जब बच्चे से फूड डिलीवरी का कारण पूछा तो बच्चे ने उन्हें बताया कि पहले उसके पिता फूड डिलीवरी किया करते थे लेकिन वो एक एक्सीडेंट में घायल हो गये हैं। इस कारण वो उनकी जगह पर फूड ऑर्डर डिलीवरी करने आया है। वीडियो में लड़का बताता है कि वो सुबह में अपना स्कूल करता है और उसके बाद रात 11 बजे तक जोमैटो का फूड डिलीवरी करता है।
वहीं इस मामले में जोमैटो का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि बच्चा अपने पिता की जगह फूड डिलीवरी का काम कर रहा है। गैजेट्स 360 को दिये बयान में जोमैटो का कहना है कि ज़ोमैटो ने परिवार की खराब स्थिति को देखते हुए उनके खिलाफ बच्चे के काम पर लगाने के लिए कोई कठोर कार्रवाई नहीं की है लेकिन कंपनी इस मामले में स्पष्ट है कि किसी भी किशोर से फूड डिलीवरी नहीं कराया जाना चाहिए, ये कानूनी नियमों का उल्लंघन है और जोमैटो ऐसे किसी भी कृत्य की कड़ी आलोचना करता है।
कपनी ने कहा, “इस संबंध में ध्यान दिलाने के लिए हम सोशल प्लेफॉर्म की सराहना करते हैं। यह स्पष्ट तौर पर बाल श्रम और कंपनी को धोखा देने सहित यहां अन्य तरह के अपराध की श्रेणी में आता है लेकिन बच्चे के परिवार की खराब स्थिति को ध्यान में रखते हुए हम इस संबंध में कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेंगे और कंपनी प्रयास करेगी की परिवार को अपनी ओर से वित्तिय मदद दी जा सके ताकि वो बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा दे सकें।"