VIDEO KIIT: नेपाल के छात्रों ने बुधवार को ओडिशा के भुवनेश्वर में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) परिसर में लौटने को लेकर डर व्यक्त किया है। केआईआईटी प्रबंधन के साथ छात्र की बातचीत वायरल हो रहा है। वीडियो में छात्र कह रहे है कि 102 डिग्री बुखार में कैंपस छोड़ने को मजबूर किया गया। 'क्या आप नहीं जानते कि नेपाल कहां है?' यह KIIT की प्रतिष्ठा पर गहरा धब्बा लगाएगा और सभी निजी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए ऐसे संवेदनशील मामलों को ठीक से संभालने के लिए एक मजबूत सबक के रूप में काम करेगा। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हो रहा है।
कई छात्रों के विश्वविद्यालय परिसर छोड़ने और अपने घरों में लौटने के बाद पड़ोसी देश की एक महिला छात्र और केआईआईटी विश्वविद्यालय के एक अधिकारी के बीच बातचीत ऑनलाइन सामने आई। पहले तो आपने हमारे साथ ऐसा किया और हमें वापस नहीं बुलाया। क्या आप नहीं जानते कि नेपाल कहाँ है? हम इतनी दूर आ गए हैं, हम वापस यूनिवर्सिटी कैसे आएंगे? छात्र ने अधिकारी को फोन पर बताया।
घटना को लेकर राज्यव्यापी आक्रोश फैल गया है। शहर में स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में बीटेक (कंप्यूटर साइंस) तृतीय वर्ष की छात्रा प्रकृति लम्साल (20) ने रविवार दोपहर को छात्रावास के कमरे में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी, जिसके बाद परिसर में अशांति फैल गई।
लड़की के पिता सुनील लम्साल अपने दोस्तों के साथ यहां पहुंचे और शव के पोस्टमार्टम के दौरान मौजूद रहे। सुनील ने बताया कि वे शव को नेपाल ले जाने की योजना बना रहे हैं। भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा, “पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं, एक लड़की के चचेरे भाई से मिली शिकायत के आधार पर, फांसी लगाकर आत्महत्या करने के संबंध में और दूसरा सोशल मीडिया वीडियो को लेकर, जिसमें निजी विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मी और कर्मचारी घटना पर विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों के साथ दुर्व्यवहार व पिटाई करते दिख रहे हैं।”
पुलिस ने रमाकांत नायक (45) और जोगेंद्र बेहरा (25) नामक दो सुरक्षा कर्मियों को भी गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ भारतीय न्याय सहिंता (बीएनएस) की धारा 126 (2) [गलत तरीके से रोकना], 296 [अश्लील हरकतें], 115 (2) [स्वेच्छा से चोट पहुंचाना] आदि के तहत मामला दर्ज किया है।
कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में 20 वर्षीय नेपाली छात्रा प्रकृति लाम्साल की कथित आत्महत्या के बाद के घटनाक्रम से नेपाली छात्र डरे हुए हैं और परिसर लौटने से हिचकिचा रहे हैं। केआईआईटी प्रशासन द्वारा करीब 1,000 नेपाली छात्रों को सोमवार को निलंबन नोटिस देकर तुरंत परिसर छोड़ने का निर्देश दिया गया था।
छात्रा प्रकृति लाम्साल का शव रविवार को उसके छात्रावास के कमरे में पंखे से लटका मिला था जिसके बाद छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। केंद्र और राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद केआईआईटी प्रशासन ने माफी मांगी और छात्रों से परिसर में लौटने का अनुरोध किया। प्रशासन द्वारा छात्रों को जबरन बाहर निकालने और कटक रेलवे स्टेशन पर छोड़ देने की घटना ने उनमें भय पैदा कर दिया है।
नेपाल की छात्रा प्रीति ने पत्रकारों से कहा, "हमें जबरदस्ती हॉस्टल से निकाला गया जबकि हमारी कोई गलती नहीं थी। केआईआईटी प्राधिकारियों ने प्रकृति की पिछली दलीलों (उसके पूर्व प्रेमी द्वारा कथित ब्लैकमेल पर) को नजरअंदाज कर दिया था। प्रकृति ने हताशा के कारण आत्महत्या कर ली। उसकी मौत से नेपाल के छात्र आक्रोशित थे।"
प्रीति ने कहा, "हमें जबरन बस में ले जाया गया और रेलवे स्टेशन के पास एक ऐसी जगह पर छोड़ दिया गया, जहां कोई दुकान या पानी नहीं था। हमारी गलती क्या थी? अब वे (डीन और केआईआईटी के अन्य अधिकारी) प्यार से हमें वापस लौटने के लिए कह रहे हैं। क्या कोई उन पर विश्वास कर सकता है?"
संस्थान के निदेशक समेत पांच अधिकारियों को छात्रों को प्रताड़ित करने के आरोप में मंगलवार को गिरफ्तार किया गया। बाद में, उन्हें जमानत मिल गई। छात्रा को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 21 वर्षीय केआईआईटी छात्र को पहले ही गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों ने बताया कि नेपाली छात्रा का शव आज नेपाल भेजा जाएगा।
उनके पिता सुनील लाम्साल और परिवार के अन्य सदस्य बीते दो दिनों से भुवनेश्वर में हैं। ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने कहा, "100 नेपाली छात्र वर्तमान में परिसर में हैं और लगभग 800 छात्र अन्य स्थानों पर हैं।" मंत्री ने कहा, ''वे छात्र शायद कोलकाता, पटना या रांची गये होंगे।
उन्हें वापस लाना केआईआईटी प्राधिकारियों की जिम्मेदारी है। वे हमारे मेहमान हैं।'' सूत्रों ने कहा कि अधिकांश नेपाली छात्र अपने घरों को लौट आए हैं। राज्य सरकार और केआईआईटी प्राधिकारियों ने अब तक परिसर में लौटे छात्रों की संख्या के बारे में जानकारी साझा नहीं की है।
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है जिसका नेतृत्व गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कर रहे हैं। इस बीच, छात्रों, युवाओं और विभिन्न राजनीतिक संगठनों ने परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी रखा।