नई दिल्ली, 2 जून: उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय संघ सेवक (आरएसएस) की विचारधारा पर सवाल खड़े करने वालों पर निशाना साधा है। उन्होंने नानाजी मेमोरियल लेक्चर में लोगों से आरएसएस के बारे में बात करते हुए कहा है- 'मुझे किसी भी इंसान का आरएसएस की सिंद्धातों के साथ आपत्ति जताने का कोई कारण नहीं दिखता है, जबकि इसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय मूल्यों के आधार पर लोगों के चरित्र का निर्माण करना है। आरएसएस की विचाराधारा 'वैसुधव कंटुबकम' की ही वकालत करता है, जिसका मतलब है कि दुनिया एक परिवार है।'
उपराष्ट्रपति आगे कहते हैं- 'गांधी जी ने आरएसएस की विचारधारा को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा था कि जब मैं आरएसएस कैंप गया, तब वहां का अनुशासन को देखकर हैरान रह गया था। उन्होंने खुद स्वयंसेवकों से इस बारे में बात की। फिर उन्हें पता चला कि वहां मौजूद सभी लोग एक-दूसरे की जाति जाने बिना, एक साथ रह रहे और खा रहे हैं।'
उन्होंने आगे कहा- 'मैं आरएसएस से जुड़ा हूं। मैं इस बात की गांरटी दे सकता हूं कि आरएसएस का मतलब आत्म अनुशासन, आत्म-सम्मान, सामाजिक आंदोलन, निस्वार्थ सेवा, आत्मनिर्भरता और सामाजिक सुधार है।'
बता दें कि आरएसएस ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को सात जून को होने वाले अपने 'संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष समापन समारोह' के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया है। खबरों के मुताबिक मुखर्जी ने इस न्योते को स्वीकार कर लिया है। जिसके बा द कांग्रेस के कई नेताओं ने आपत्ति जाताई है। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, 'आरएसएस और हमारी विचारधारा में बहुत अंतर है। यह वैचारिक फर्क आज भी है और आगे भी रहेगा।'
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