नई दिल्ली, 23 अगस्तः वरिष्ठ पत्रकार और लेखक कुलदीप नैयर का बुधवार देर रात निधन हो गया। वो 95 वर्ष के थे। कुलदीप नैयर कई दशक से पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय थे। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं। उनकी आत्मकथा 'एक जिंदगी काफी नहीं' आजादी के बाद भारत की यात्रा का एक बेहतरीन दस्तावेज है। यह पुस्तक काफी चर्चित रही है।
कुलदीप नैयर का जन्म 14 अगस्त 1923 को हुआ था। वो पत्रकारिता के साथ एक्टिविज्म भी करते रहे। 1977 में आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था। उन्हें 1997 में राज्यसभा के लिए भी नामांकित किया गया था।
कुलदीप नैयरः सफरनामा
कुलदीप नैयर का जन्म पंजाब के सियालकोट में 14 अगस्त 1923 तो हुआ था। उनके पिता का नाम गुरबख्श सिंह और मां पूरन देवी थी। उन्होंने लाहौर के फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से बीए (ऑनर्स) और लॉ कालेज से एलएलबी की पढ़ाई की। 1952 में उन्होंने नॉर्दवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की। करियर के शुरुआती दिनों में नैयर उर्दू पत्रकारिता करते थे। बाद में उन्होंने अंग्रेजी अखबार द स्टेट्समैन का संपादन किया और आपातकाल के दौरान जेल भी गए। उन्होंने 80 से ज्यादा अखबारों के लिए 14 भाषाओं में लेख लिखे हैं।
कुलदीप नैयरः चर्चित पुस्तकें
कुलदीप नैयर ने 'बिटवीन द लाइन्स', ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट', ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू', ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप', ‘इण्डिया हाउस', ‘स्कूप' ‘द डे लुक्स ओल्ड' जैसी कई किताबें लिखी थीं। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।