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वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः पस्त होना ब्रिटिश प्रधानमंत्री का

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: September 26, 2019 20:28 IST

उन्होंने अपने इस फैसले की घोषणा कर दी थी लेकिन उन्होंने जब देखा कि ब्रिटिश संसद में ज्यादातर सांसद उनके इस फैसले से कमोबेश सहमत नहीं हैं और उनकी सर्वत्र आलोचना हो रही है तो उन्होंने ब्रिटिश संसद के निचले सदन को 10 सितंबर से 14 अक्तूबर तक के लिए निलंबित कर दिया.

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ठळक मुद्देइस पर भारतीय मूल की एक चर्चित महिला गिना मिलर ने ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा ठोक दिया. अब ब्रिटेन की सबसे बड़ी अदालत के 11 जजों ने सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री के फैसले को रद्द कर दिया है.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने सिर भयंकर मुसीबत मोल ले ली है. वे कंजर्वेटिव  पार्टी के प्रधानमंत्री हैं. वे चाहते हैं कि 31 अक्तूबर तक ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अपना संबंध तोड़ ले.

उन्होंने अपने इस फैसले की घोषणा कर दी थी लेकिन उन्होंने जब देखा कि ब्रिटिश संसद में ज्यादातर सांसद उनके इस फैसले से कमोबेश सहमत नहीं हैं और उनकी सर्वत्र आलोचना हो रही है तो उन्होंने ब्रिटिश संसद के निचले सदन को 10 सितंबर से 14 अक्तूबर तक के लिए निलंबित कर दिया.

इस पर भारतीय मूल की एक चर्चित महिला गिना मिलर ने ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमा ठोक दिया. अब ब्रिटेन की सबसे बड़ी अदालत के 11 जजों ने सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री के फैसले को रद्द कर दिया है.

उनका कहना है कि प्रधानमंत्री जॉनसन ने महारानी एलिजाबेथ को गुमराह कर संसद निलंबित करवा दी. उनका यह फैसला गैरकानूनी है. यूरोपीय संघ से ब्रिटेन बाहर निकले या न निकले, इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संप्रभु संसद को दरकिनार कर ब्रिटिश प्रधानमंत्री खुद कुछ भी फैसला कर लें, यह लोकतंत्र की खिल्ली उड़ाना है.

ब्रिटेन के अलिखित संविधान में संसद को संप्रभु कहा गया है यानी उससे ऊंचा कुछ नहीं है. प्रधानमंत्री ने अपने आप को संसद से भी ऊंचा बनाने की कोशिश की है. इस फैसले का महत्व ऐतिहासिक है यानी अब महारानी और प्रधानमंत्री के बीच होनेवाले व्यवहार पर भी न्यायालय नजर रख सकता है.

ब्रिटेन के अलिखित संविधान की परंपरा यह है कि राजा या रानी नाममात्र के राष्ट्राध्यक्ष होते हैं. विपक्ष के नेताओं ने उनके इस्तीफे की रट लगा दी है. जॉनसन संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भाग लेने न्यूयार्क गए थे लेकिन उन्हें अब उल्टे पांव लौटना पड़ा है. यदि वे इस्तीफा देते हैं तो वे ब्रिटेन के सबसे अल्पकालीन प्रधानमंत्री माने जाएंगे.

यूरोपीय संघ से ब्रिटेन बाहर निकले या न निकले, इस मुद्दे पर तीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड केमरून, थेरेसा मे और बोरिस जॉन्सन का हट जाना अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना होगी.

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